VIRODH/विरोध

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शिक्षा हमारा अधिकार है जिसे जात-पात से ऊपर उठ प्रत्येक गरीब बच्चों को मुहैया करना सरकार का कर्तव्य। और जब जब सरकार की गलत नीतियों के कारण बच्चों का भविष्य अधर में लटकने का भय सताएगा विरोध होता रहेगा। वैसे देखा जाए तो गरीब बच्चे देश के किसी एक शिक्षण संस्थान में नही बल्कि भारत के अन्य संस्थानों में भी पढ़ते हैं। फीस वहाँ भी बढ़े हैं मगर वहाँ देश विरोधी नारे नही लगते। शायद इसका पेटेंट किसी एक संस्थान ने अपने नाम कर लिया है।

निश्चित ही जे.एन.यू में भी प्रतिभाशाली बच्चों का चयन होता है जिसमे कुछ बच्चे इतने गरीब हैं जिनके लिए बेतहाशा बढ़ी फीस देना आसान नही जिसका हम भी विरोध करते हैं। मगर जब वहाँ पढ़नेवाले छात्र स्वामी विवेकानन्द जैसे महापुरुष जिससे इस देश की पहचान है का अपमान करने पर उतर आएँ तब ये मामला सिर्फ फीस का नही रह जाता और ना ही वहाँ पढ़नेवाले छात्रों को हम सही विचारधारा का मान सकते हैं।

विरोध तो हम भी करते हैं सरकार की गलत नीतियों का मगर अपनी मर्यादा जानते हैं। मगर ऐसा जान पड़ता है जैसे वहाँ मर्यादाहीन लोगों का जमावड़ा हो गया है। जो आए दिन किसी भी बात पर भारत का मान गिराने से नही चूकते। जिसकी निंदा करने पर उसे बेबुनियाद बताते हुए कुछ अपने लोग सरकार या शिक्षण कमिटी से जाँच करा दोषियों को सजा दिलाने की बात करते हैं। वो भी वहाँ,जहाँ पत्रकार एवं विश्वविद्यालय के उच्च पदाधिकारी बंदी बना लिए जाते हैं। जहाँ सी.सी.सी.टीवी कैमरे नही लग सकते।

सत्य है कि जे.एन.यू एक बढ़िया संस्थान है जिसने देश का गौरव बढ़ाया है। मगर कुछ मुट्ठी भर छात्र इस संस्थान को तबाह कर रखे हैं। जिसे देख ऐसा लगता है जैसे वहाँ ऐसे दीमक लग गए हैं जिससे भारत विश्वगुरु बनना तो दूर भारत,भारत ही नही रहेगा।

गरीब हम भी हैं शायद उनसे भी ज्यादा और प्रतिभाशाली भी। मगर हमारी प्रतिभा उतनी नही की भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह बोल सकूँ।हम इतना भी प्रतिभाशाली नही की स्वामी विवेकानन्द जैसे महापुरुष जिससे इस देश की पहचान है की प्रतिमा का अपमान कर सकूँ। और इतना भी प्रतिभाशाली नही की पच्चास वर्ष की उम्र तक विद्यार्थी बन अन्य गरीब भाईयों का हक मार बैठा रहूँ।

आज पूरे देश में विरोध की राजनीत चल पड़ी है। जिसका भारत के भविष्य से कोई लेना देना नही। अब देखिए न, कश्मीर में चंद मुट्ठी भर अलगाववादियों को कश्मीर एवं देश की भविष्य को देखते हुए बंदी बनाया गया है जिनके समर्थन में चंद अपने लोग विरोध का विगुल बजा रहे हैं। मगर दुख होता है ये कहते हुए कि तब इनका विरोध कहाँ गया था जब लाखो कश्मीरी हिन्दू काटे जा रहे थे। महिलाओं और बच्चियों का बेरहमी से बलात्कार किया जा रहा था। जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था। तब इस बर्बर सोच से कुछ कश्मीरी हिन्दू अपनी जान बचा वहाँ से भाग गए और अपने ही देश में विस्थापितों की जिंदगी जीने पर मजबूर हो गए। उनके लिए इनकी आँखों में आँसू नही आते। उनका दर्द इन्हें महसूस नही होता। मगर मुट्ठीभर अलगाववादियों पर इनकी दया देख खून हमारा भी खौलता है।

चाणक्य ने कहा है कि यदि जीवन बचाने के लिए एक अंग को काटना पड़े,एक घर को बचाने के लिए एक सदस्य को गंवाना पड़े, तथा एक को गांव को बचाने के लिए एक घर एवं देश को बचाने के लिए कुछ गांवों को बलि देना पड़े तो दे देना चाहिए। फिर इन मुट्ठी भर अलगाववादियों से इतना प्रेम क्यों जो कभी इस देश का भला सोचा ही नही। आज इनके मुख्यधारा में नही होने से पत्थरबाजी बंद है और सैनिक भी सुरक्षित।मगर विरोध में इनको ये परिवर्तन नही दिखता।

विरोध होना चाहिए। मगर हमारे विरोध का कत्तई ये मतलब नही होना चाहिए कि देश ही गौण हो जाए। मगर कभी कभी बुराई का साथ देनेवाले इतने बुरे बन जाते हैं कि उन्हें सत्य दिखाई देना बंद हो जाता है। जिसका भारत सदियों से भुक्तभोगी रहा है।

ये मेरा निजी राय है और आप अपनी विचार रखने को स्वतंत्र हैं।

!!!मधुसूदन!!!

26 Comments

  • श्रीमद्भगवत गीता को पूरा विश्व अपना रहा है….पर एक भारत कि सरकार और यहा कि जनता ही है जो गीता कि कसमें खा कर अपना जीवन को विकास पथ पर आगे बढ़ा रहे है😅😅😅

    चार पुस्तकें पढ़ लेने से, बड़े संस्थानों में पढ़ लेने से, चार डिग्री हासिल कर लेने शायद कोई महान नहीं हो जाता है।

    • बहुत सही विचार। ज्ञानी वही है जिसके दिल में प्रेम है।
      जब स्वार्थ चरमोत्कर्ष पर पहुंचा तब गीता का जन्म हुआ।

  • मैं भी आपकी बात से पूर्णतः सहमत हूं।अचछा लिखा है आपने।

  • jnu विद्रोही राजनीति का अड्डा है | इसे बंद कर एक नयी यूनिवर्सिटी खोली जानी चाहिए नए मापदंडों, नए संचालकों और नए प्रोफेसरों के द्वारा जो विद्यार्थी को सही ज्ञान के साथ सही मार्गदर्शन दे सकें.

    • बहुत बहुत धन्यवाद सर अपना विचार रखने के लिए। वैसे मेरा मानना है कि ये अराजक तत्व किसी भी यूनिवर्सिटी में अपनी पैर जमा सकते हैं। जरूरत है इन्हें पहचान करने की। मेरे समझ से संस्थान बंद करना विकल्प नही। वहां बहुत ही प्रतिभाशाली छात्र पढ़ते हैं।

  • बहुत सुन्दर और सार्थक पोस्ट 👌👌🌻

    गरीब हम भी हैं शायद उनसे भी ज्यादा और प्रतिभाशाली भी। मगर हमारी प्रतिभा उतनी नही की भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशाअल्लाह, इंशाअल्लाह बोल सकूँ

    अगर मेडिकल कॉलेज की फीस 40000 से ज्यादा होती तो शायद डाक्टर बनने का सपना, सपना ही होता ..हम तो किसानपुत्र है …. बिना सरकार की सबसिडी के शिक्षा सम्भव नहीं होती 🙂 ….. बहुत सारे लोग कुछ काबिल बन पाते जिसमें सरकार का सहारा होता …

    JNU एक खास विचारधारा का अडडा बन चुका है … सेक्स , सुरक्षा , सरकार, चुनाव, आतंक सम्बंधी हर मुद्दे पर jnu एक अपवाद बन चुका है ….. professor students sab अजीब ही लगते हैं वहाँ के …😄

    मोटा भाई लगे तो है देखिये अच्छे परिणाम होंगे 😍❤

    • हम भी अच्छे परिणाम का उम्मीद करते हैं आपसे और सरकार से यही कहना है कि कहीं और कि सब्सिडी कम करो मगर शिक्षा,स्वास्थ्य पर सब्सिडी बढ़ा दो मगर कम मत करो क्योंकि यहाँ से देश के भविष्य निकलते हैं।

      • Mota bhai se mera matlab गृहमंत्री अमित शाह की ओर इशारा था😍😍

        लातो के भूत बातों से नहीं मानते JNU me wahi maangta hai dada 😁😁😍😍😘🤔

        • हा हा हा।😁😁 जरूर बदलाव होगा।जयचंद बढ़ गए हैं और मोटा भाई भी अब अनाप शनाप निर्णय ले रहे हैं जैसे महाराष्ट्र,झारखंड,बिहार। जिसके कारण एक एक कर सहयोगी अलग होते जा रहे हैं।

          • Apna tym aayega दा😍😍 …. मोटा भाई चाहे तो अमेरिका में भगवा लहरा दे …

            अच्छा हुआ जयचंद बाहर निकल रहे … 😀😀
            हम शाषक नहीं सेवक बनना चाहते .. संघ के यही संस्कार .. जय जय श्री राम 😘😍

    • धन्यवाद आपका लेख को समझने और समर्थन के लिए।

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