Ye Kaisa Hindustan
जितना प्रेम करते हैं हम अपने हिंदुस्तान से,
उतना ही प्रेम करते हम,हिन्द के आवाम से,
हैं हिन्दू हम सच्चाई है,मेरा भी हिंदुस्तान है,
धर्म हो कोई भी उसमें,बसती मेरी जान है,
संख्या अस्सी फीसदी मेरी,मेरे हिंदुस्तान में,
फिर भी मेरी कद्र क्यों नहीं है हिंदुस्तान में।
जाति-धर्म छोड़ देख,मैं भी तो इंसान हूँ,
तेरे संबिधान का मैं भी तो अवाम हूँ,
बोल क्या कुकर्म किया,मुझे भी बताओ ना,
किसी को सताया कभी,मुझे भी बताओ ना,
प्रेम और अहिंसा का संदेश दी जहान में,
फिर भी मेरी कद्र क्यों नहीं है हिंदुस्तान में।
रंग दो ना मजहब का,ऐसे कोई जेहाद को,
धर्म से ना जोड़ कभी,कोई उग्रवाद को,
मार उसे अब ना छोड़,खून जिसे चाहिए,
हिन्द में बसा है जिसे हिन्द नहीं चाहिए,
जंग जीत लेंगे हम सीमा पार वालों से,
सीमा में छिपे हैं वो गद्दार नहीं चाहिए,
हम लुटाये जान जब होते वो तूफान में,
फिर भी मेरी कद्र क्यों नहीं है हिंदुस्तान में।
शर्म कर जमीर तेरा,क्यों नहीं धिक्कारती,
कत्ल हुए भक्त की अब आत्मा पुकारती,
रो रहे हैं हम ना मेरा और इम्तेहान ले,
अपना उसे बोल-बोल,मेरी अब ना जान ले,
आँख खोल तुम भी बोल,किसका इंतेज़ार है,
मिट रहे हैं आज हम,क्या खुद का इंतजार है,
जितना प्रेम करते हैं हम अमरनाथ धाम से,
जितना प्रेम करते हैं हम अपने भगवान से,
उतना ही प्रेम करते हम,हिन्द के आवाम से,
हम हैं सबके साथ खड़े अपने हिंदुस्तान में,
फिर भी मेरी कद्र क्यों नहीं है हिंदुस्तान में।
फिर भी मेरी कद्र क्यों नहीं है हिंदुस्तान में।
!!! मधुसूदन !!!
बहुत खूब
Sukriya aapkaa…
Your poems always make me emotional!!
I am greatful to your valuable comments.thank you very much.
सार्थक रचना…. समझ नहीं आता ऐसी कौनसी विवशता है जो भारत इतना सैन्य संपन्न होते हुए भी इस तरह के हालातो में सिर्फ निंदा ही करता है…मुझे तो अब इस निंदा शब्द से घृणा होने लगी है….हर बार लोगो की लाशो संग अखबारो में छपता….कड़े शब्दों में निंदा….
बिल्कुल सही कहा—ऐसे ही हमबगर निंदा करते रहे तो वो दिन दूर नहीं जब पूरा हिंदुस्तान तालिबान होगा फिर शेष बचे हिंदुस्तानी भी हमारी तरह चिल्लायेंगे।परिभाषा बदलना होगा। वही हिंदुस्तानी है जो हिंदुस्तान का सोचे।कोई भी जाति मजहब का कोई इन्सान राह भटक जयचंद बनता है फिर उसकी सीधे मौत होना चाहिए।सुक्रिया आपका आपने पसंद किया और सराहा।
जितना प्रेम करते हैं हम अपने भगवान से,
उतना ही प्रेम करते हम,हिन्द के आवाम से
बहुत अच्छे काव्यात्मक ढंग से आपने मार्मिक चित्रण किया है देश के ही नहीं इंसानियत के दुर्भाग्य का ! काश ये सोच हिंदुस्तान की बन जाये !
Dhanyawaad aapkaa aapko achchha lagaa saath hi aapne apni pratikriya byakt kiya sukriya apka…
शानदार कविता है।Touching lines👌😢
Dhanyawaad aapkaa pasand karne ke liye.
Welcome Sir😊