वो बोले तो झूठ है केवल,तुम झूठे,मक्कार नही,
है निश्चित गद्दार सोमरुआ यूं ही तेरे साथ नही।
वो क्या जाने महंगाई,
बस जाने शोर मचाना,
उसका तो एकमात्र लक्ष्य बस,
तुम पर दाग लगाना,
बंद झरोखे और दरवाजे
उसपर लगे हुए थे ताले,
फिर भी सबकुछ लूट लिए तुम,
कहता कुछ भी पास नही,
है निश्चित गद्दार सोमरुआ यूं ही तेरे साथ नही।
वह कहता कर नित्य ही बढ़ते,
झूठ झूठ और झूठ है,
सस्ता सब सामान हाट में,
कोई किसी से पूछ ले,
कृषक खुशी,मजदूर जशन में,
युवा मस्त, व्यापारी टशन में,
और अमीरों के हाथों की कठपुतली सरकार नही,
है निश्चित गद्दार सोमरुआ यूं ही तेरे साथ नही।
वह कहता भरपूर नियंत्रण,
तेरा दवा, चिकित्सालय पर,
तुम बिन कदम बढ़ाना मुश्किल,
अंकुश तेरा विद्यालय पर,
फिर शिक्षा व्यापार बना क्यों?
अस्पताल बटमार बना क्यों?
मोबाइल का प्लान रुलाता,
क्यों ट्राई (TRAI) कुछ कर नही पाता,
कहता बिकते प्रतिष्ठान सब, झूठ है सच्ची बात नही,
है निश्चित गद्दार सोमरुआ यूं ही तेरे साथ नही।
!!!!मधुसूदन!!!!
MAHANGAYEE/महंगाई

