तुम उन्हें मौन रहने वाला कहो
स्टेच्यू कहो या रबर स्टांप!
मर्जी तेरी,
जनता के लिए अपने दल से बगावत कर
नई सरकार बना ले,
ऐसे हुनर उन्हें हासिल नहीं थे,
वे मौन थे भीष्म पितामह की तरह,
मगर मत कहना कि वे काबिल नहीं थे,
रिटायरमेंट की उम्र
और वित मंत्री का भार मिला,
डूब रही नैया थी और हाथों में पतवार मिला,
एक एक रुपए के लिए,
जूझ रहा था देश,
उबारा उसने,
आज दौड़ रहा है देश अपना
बल पर जिसके,
उस आर्थिक उदारीकरण को लाया उसने,
कालिख की कोठरी से बेदाग निकल जाना,
आसान नहीं डॉ.मनमोहन सिंह बन पाना।
!!!मधुसूदन!!!
आज भूतपूर्व प्रधानमंत्री और विश्व विख्यात अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। भारतीय राजनीति में उनका योगदान अविस्मरणीय है। अपनी आर्थिक नीतियों द्वारा 1990 के आर्थिक संकट से भारत को सरलता से निकालने वाले और भारत को प्रगति पथ पर अग्रसर करने वाले मनमोहन सिंह सदैव भारतीयों के हृदय में बसे रहेंगे।

