Kabhi Alvida Na Kahna
खरपतवार को स्वयं निकाला, एक-एक वो पौध लगाया, कलतक खिला हुआ था अब वो, बगिया है वीरान,माली छोड़ चला, अपना घर-संसार,माली छोड़ चला। कितने युग संघर्ष किया तूँ, मरुस्थल को स्वर्ग किया तूँ, है अब वही स्वर्ग वीरान, माली छोड़ चला, अपना घर-संसार,माली छोड़ चला। पथ पर उमड़ा जन-सैलाब, अंतर्मन मन मे एक भूचाल, रुँधे […]