
माँ, तूँ पास ना होकर भी समीप है,
कैसे कहूँ तूँ कितना करीब है,
जब भी कोई दुख होता,सह लेते,
ये सोचकर कि तुम दूर हो
मगर हो तो सही,
एक आवाज,
और दौड़ी चली आओगी,
माँ,
पता है,
आज मदर डे है,
तुझे याद करने का दिन!
हमें नही पता ये दिन किसने बनाए,
हमें ये भी नही पता,
वो कौन सा क्षण जब हम तुझे भूल पाए!
माना सबका मेरे जैसा तकदीर नही,
कई ऐसे भी हैं जिनकी माँ क्या,
माँ की तस्वीर भी नही,
समय की सुई,
कभी हँसाती कभी रुलाती है,
माँ का दर्द कैसा उनसे पूछो जिनकी माँ नही,
या माँ से दूर मुस्कुराती है,
हम भी भूले नही,
कैसे कहें माँ,
तुम याद बहुत आती है,तुम याद बहुत आती है।
!!! मधुसूदन !!!