MAA AUR JINDGI/माँ और जिंदगी
जितना समझा,कम रहा,बस इन्हीं बातों का गम रहा,न जाने कितने तूफान आए,न जाने कितने पर्वतराहों मेंचक्रवात आए,मगरसदैव आगे बढ़ता रहा,तेरे हौसले,जिद्द मेंपल-पलनिखरता रहा,सबकुछ लुटा दी,मेरे एक मुस्कान पर,कितना समझाया तूनेहर गलत बात पर,ऐसे ही नही हर बार मझधार से निकलता रहा,सवाल कैसा भी होउलझतामगर हल करता रहा,सफल समझा सबने हमें,मगर आज भीस्वयं को मैंअनुतीर्ण समझता […]