आम का बगीचा जिसमे आम का एक बिशाल बृक्ष अपने जड़ में अनगिनत कहानियों को समेटे हुए आज भी बच्चों के खेलने का सबसे पसंदीदा जगह।गांव का शायद ही कोई ऐसा बृद्ध होगा जो बचपन में उस पेड़ के नीचे ना खेला हो। परंतु जब भी आम में फल लगने का समय आता बच्चों को पेड़ से अलग होना पड़ता।शायद आम बृक्ष भी इस बात को पसंद नहीं करता होगा।
आज पुनः आम का पेड़ फलों से लदा हुआ है जिसे देख—आ हा हां बच्चे क्या किसी का भी मन लालच जाए,परंतु पहरेदारों की जबरदस्त चौकसी।कोई भला एक भी आम कैसे तोड़ ले। आम मालिक भी काफी रोबीला मगर औवल दर्जे का कंजूस था। गिरा हुआ आम भी किसी को छूने नहीं देता।
बच्चे तो आखिर बच्चे होते हैं, शैतानी ना करे तो बच्चे कैसे। वे आम तोड़ने की हर बार जुगाड़ लगाते परंतु हर बार असफल हो जाते। गर्मी का महीना,तेज गर्म हवा,रास्ते क्या गांव भी लू से वीरान पड़ जाती । सभी अपने अपने घरों में दुबके होते परंतु रखवाला उस तेज लू में भी आम के पेड़ के नीचे झोपडी लगा डटा रहता।
आखिरकार बच्चों ने एक योजना बनायी।तेज बहती गर्म हवा,ठीक दोपहर को जब चारो ओर सन्नाटा एवं पहरेदार पेड़ के नीचे झोपड़ी में लेटा हुआ था।एक लड़का अंडरवियर पहन पुरे शरीर में बाल सहित काली राख लगा साथियों को दूर खड़ा कर पीछे से पेड़ पर चढ़ गया। इस बात की पहरेदार को बिलकुल भनक तक नहीं लगी।अचानक लड़का अजीबो गरीब आवाज निकालने लगा।पहरेदार भूत की आशंका से झोपडी से जैसे ही बाहर निकलता है ठीक उसी समय लड़का नीचेवाली डाली को झकझोरता हुआ अनगिनत आमों के साथ कर्कश आवाज करता धड़ाम से नीचे कूद पड़ता है जिसे देख पहरेदार की हवाईयां उड़ जाती है।
सच में पहली बार उसने कोई भूत देखा था।हलक से उसके जैसे प्राण निकल रहें हों ।सबकुछ चंद सेकण्ड में घटित हुआ।पहरेदार भूत का बिकराल रूप देख गिरता-पड़ता भाग रहा था। इधर भूत बने बच्चे का इशारा पाते ही बाकी लड़के फुर्ती से पेड़ के नीचे का सारा फल बोरी में भरकर चले जाते हैं।
काफी समय बाद पहरेदार पेड़ के खड़ूस मालिक के साथ बागीचे में आता है।भूत की ख़बर सुन गांव के कुछ लोगों के साथ लड़को की टोली भी माजरा देखने के बहाने ये सोचकर आते हैं कि कही पहरेदार उसे पहचान तो नहीं लिया?
सभी पेड़ के नीचे खड़े मानो किसी पर लू का कोई असर नहीं जबकि लू तो अपने चरम पर था।सभी खामोश,पहरेदार थरथर कांप रहा था।डर से अपनी झोपडी में भी नहीं जा रहा था।एक पत्ता भी खड़कता सभी चौकस हो जाते।बच्चे चैन की साँस ले रहे थे।शुक्र है पहरेदार ने उसे नहीं पहचाना साथ ही खड़ूस का चेहरा देखते ही बनता।
खड़ूस को आम की चिंता,पहरेदार को अपनी जान की,बगीचा बिरान हो गया।उस दिन से अब बागीचे पर भूतों का राज हो गया।जब भी बोरी ख़त्म होती पुनः भूत बागीचे में आते और आम का मजा लेते।आम मालिक की हालत देखते बनती और आम खाने का मजा —-क्या कहना।शायद बचपन का ये भी एक हिस्सा है।
बर्षों बीत गए।सच्ची बात उजागर हो गयी थी परंतु बच्चों की बात का किसी को यकीन नहीं हो रहा था।उस बागीचे में किसी पहरेदार ने पहरा देने की हिम्मत नहीं की। अब बच्चे बेधड़क आते हैं और आम का लुत्फ़ उठाते हैं और आम का पेड़ भी बच्चों की किलकारी सुनकर ख़ुशी से झूम उठता है जो कल तक पहरे में वीरान पड़ा था।
चोरी करने का मैं कत्तई सलाह नहीं देता परन्तु बच्चे तो बच्चे होते हैं और सच्चाई झुठलाया नहीं जा सकता।
!!!मधुसूदन!!!