Tarangini/Nadi/तरंगिनि/नदी
पर्वत से मैं चली ऐंठकर, इठलाती बलखाती, निर्मल जल की रानी मैं,जन-जन की प्यास बुझाती, निर्मल जल की रानी मैं,जन-जन की प्यास बुझाती ।। जात-पात और धर्म ना जानू, किसका क्या है कर्म ना जानू, मानव कौन ,कौन है दानव, पशु-पक्षी सब एक सा मानु, भू-नभ के सब जीव-जंतु को,अपने गले लगाती, निर्मल जल की […]