JNU/जे.एन.यू

Image Credit : Google शिक्षा का मंदिर दंगल मैदान बना है जेएनयू, सत्ता हथियाने का बस हथियार बना है जेएनयू। काश यहाँ हम भी पढ़ पाते, लाखों सपने नित्य सजाते, मगर योग्यता जिनकी होती, वे ही इस मंदिर में जाते, निर्धन और धनवान यहाँ पर, निर्बल और बलवान यहाँ पर, शहरी,ग्रामीण हर तबकों के लाखों […]

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RAAJNEET KA MARA DESH HAMARA

Image Credit : Google किसको चुनूँ किसको छोडूं, किससे अपने रिस्ते जोड़ूँ, पता किया तो निकल गए दोनों मौसेरे भाई, हम बकरे से बदतर इनसे अच्छे हैं कसाई। लोकतंत्र में जनता पर, निर्भर है सत्ताधारी, यहाँ खड्ग पर मत है भारी, मत का भेद करा डाला, जातिवाद बढ़ा डाला, जहाँ विश्व का धर्म सुरक्षित, उसमे […]

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Insan aur Singhasan

Click here to read part ..3 तेरे ही कारण जग से यारा रार ठान ली, जब तूने ना समझा,अपनी मैं हार मान ली। मैं पत्थर से टकराता, जंगल मे राह बनाता, नामुमकिन है ना कुछ भी, मैं शोलों पर चल जाता, जग ने एक सुर से मेरी,जय-जयकार मान ली, जब तूने ना समझा मुझको मैं […]

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Insan aur Sighashan(Part.3)

Click here to read part.2 तिनका तिनका जोड़ के कुटिया,एक बनाता है इंसान, जिसके सिर को छत मिल जाता,कितना इतराता इंसान। कितने ऐसे आज भी जिनके, सिर पर ऐसी घास नहीं, चलते चलते पैर थके, कितने को अब कुछ आस नहीं, आंखें बन जाती है पत्थर,ख्वाब नही पाता इंसान, जिसके सिर को छत मिल जाता,कितना […]

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Insan aur Singhashan (Part..2)

Click here to read part..1 मैं एक अदना सा इंसान, सदियों से मेरी एक उलझन,रोटी,कपड़ा और मकान, मैं एक अदना सा इंसान। कर देकर भी मुक्त हुए ना, हम सब पहली बार, कोड़ों की बरसात हुई थी, हम पर पहली बार, नंदबंश का राजा था वह, धनानंद था नाम, मानव को मानव ना समझा, मुश्किल […]

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Insan aur Singhashan(Part.1)

मैं एक अदना सा इंसान, जग में मेरी क्या पहचान, मेरी सदियों से एक उलझन, रोटी,कपड़ा और मकान,मैं एक अदना सा इंसान। राजतन्त्र या लोकतंत्र हो, या हो खेल सिंघासन का, जाति,धर्म या देश की सीमा, या हो खेल बिभाजन का, बातें सब ये बहुत बडी है, सदियों से इससे अनजान,मैं एक अदना सा इंसान। […]

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