NASHA/नशा
नशे से भरी दुनियाँ,जहाँ कुछ नशा ऐसी,जो चढ़ती नही,और कुछ,चढ़ जाए फिर उतरती नही,चाहे क्यों ना लुप्त हो जाएँ सूरज,चाँद,सितारे,क्यों ना बुझ जाएं सारे दीप,हो जाएं क्यों नादुनियाँ से अलग,अकेला,जहाँ ना हो कोई रोकनेवाला,ना ही अपना कोई मीत,जहाँ घर क्या,भरा हो क्यों ना,तालाब भी महंगे शराब से,फिर भी नामुमकिन है उबर पानाउसके ख्वाब से।!!!मधुसूदन!!! अपने […]