KALAM/कलम

जो लब से ना हम बोल सके,पैगाम उन्हें पहुँचा दो ना,ऐ कलम मेरी जज्बातों को,इन पन्नों पर बरसा दो ना।लिख दो धड़कन क्या कहती है,आँखें क्यों ब्याकुल रहती है,लब पर है किनके नाम मेरे,लिख दो सारे पैगाम मेरे,लिख नशा नही है लाखों में,जो नशा है उनकी बातों में,उन बातों में हम डूब गए,लिख दो खुद […]

Posted in Hindi PoemTagged 31 Comments on KALAM/कलम

Kora Kagaj/कोरा कागज

जब भी उठती कलम चिल्लाता कोरा कागज,सिसक सिसककर दर्द सुनाता कोरा कागज।महिमामंडित गद्दारों का करते करते,शब्द बने बोझिल,शब्दों को सहते सहते,ऊब गया, खुद पर शर्माता कोरा कागज़,जब भी उठती कलम चिल्लाता कोरा कागज।लाखों खोए वीर वतन पर मिटनेवाले,नहीं यहाँ पर कोई उनपर लिखनेवाले,कब आएंगे वे दिन,कब वो कवि बता दे,बलिदानी के नाम शब्दों की झड़ी […]

Posted in Hindi PoemTagged 19 Comments on Kora Kagaj/कोरा कागज

THKKAANA/ठिकाना

पूछोगे गर हाल बता दूँ हो सकता है हँसते हँसते, पूछ न देना पता हमारा खोया वो जाने किस रस्ते। अब गुमशुम पर पास मोबाइल, डायरी,कलम,दावात मोबाइल, वैसे तो ठगनी ये भी पर, कदम,कदम पर साथ मोबाइल, जग सोया क्यों जगा हुआ मैं, खोज रहा क्या नशा हुआ है, काले क्यों रुखसार बता दूँ हो […]

Posted in Jiwan dharaTagged 28 Comments on THKKAANA/ठिकाना

Kora Kaagaj

Image Credit : Google जीवन कोरा बिन अपनों के, जैसे कोरा कागज, धरती की ना प्यास बुझाये, बिन पानी के बादल, ख्वाब बिना पानी के बादल, आँख खुले तड़पाते, क्या लिखूँ मैं याद में तेरी,शब्द मुझे तरसाते।1 लिखना चाहूं,लिख ना पाऊं, जज्बातों को मैं उकसाऊं, पढ़कर तुमको तेरा होकर, ख्याल हजारों आतें, क्या लिखूँ मैं […]

Posted in Jiwan DarpanTagged 48 Comments on Kora Kaagaj