Dahej (Part-5)
एक डाल पर गुलशन में दो कलियाँ है मुश्कायी,
बधाई हो बधाई आज पूरी हुई सगाई।
छूट गयी अब कथा कहानी,
बिटिया ब्यस्त मोबाइल में,
भैया ने दी फोन गिफ्ट में,
राखी की बंधवाई में,
ब्यस्त सभी अपने कमरे में,
मात-पिता को नींद कहाँ,
जब तक ब्याह नहीं हो जाती,
तबतक उनको चैन कहाँ,
ताकत से बढ़कर के सौदा,
खुशी के बदले कर डाली,
खेत बेच बाबुल ने उनकी,
मांगें पूरी कर डाली,
मगर रोज एक मांग सुनाते,
आंगन में क्या लाएंगे,
हीरो की दो बाईक कबतक,
बच्चों को दिलवाएंगे,
पढ़ी लिखी बिटिया हो जितनी,
मांग भी उतनी होती है,
पढ़ी लाख बिटिया फिर भी,
कीमत बेटों की होती है,
दानव बना दहेज रुलाता,
प्रेम,दया ना होता है,
बेटी का माँ-बाप मगर,
खुशियों का ख्वाब संजोता है,
रोज नया एक फर्ज निभाता मात-पिता संग भाई,
बधाई हो बधाई निस दिन ब्याह की चर्चा छाई।
पत्नी ने कुछ गहने अपने,
बदल के गहने बनवाई,
चिंतित प्रियतम को देखा फिर,
गहने सारी दिखलाई,
कृषक समझते देर लगी ना,
बोला क्या तू कर डाला,
तेरे जो श्रृंगार थे गहने,
क्यों कर बदली कर डाला,
मेरी अब मुश्कान है बोली,
तेरे ही मुश्काने में,
माँ की तो श्रृंगार है केवल,
बिटिया के मुश्काने में,
एक दूजे का दर्द समझ,
मुश्कान खुशी की आई,
खत्म हुई सारी दुबिधा,दोनों को नींद थी आई,
बधाई हो बधाई,तिलक का कल दिन है भाई।
Cont Part-6
!!! मधुसूदन !!!
अति उत्तम ।
धन्यवाद आपका पसंद काटने के लिए।
आपकी इतनी सुंदर सी कविता को पढना यह तो हमारा सौभाग्य की बात है।
Itna bada mat banayeeye…….ham bhi aap hi ki tarah sikh rahaa hun….sukriya apka apke uttam vichar ke liye.
ये तो आपका बढ़प्पन हैं ।
चलिए अगले अंक का भी इंतेज़ार रहेगा।👌👌
धन्यवाद आपका ।
वाह वाह 👏🏻👏🏻 बहुत सुंदर लिखा
सुक्रिया आपका आपने पसंद किया।
बहुत ही खूबसूरत रचना है आपकी। अब तो तारीफ के शब्द नहीं मिलते हैं।
आपके पसंद करने एवं सराहने के लिए कोटि-कोटि आभार।