DECEMBER/दिसम्बर
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कौन रहा है कौन रहेगा,
कबतक चिंतित,मौन रहेगा,
सबका है किरदार सुनिश्चित,
जीवनभर संग कौन रहेगा,
तुम बड़भागी खुद को कहना,
कभी ना खुद को दीन समझना,
देख मनाया जश्न कभी उसका क्षण अंतिम आया है,
मगर तुम्हारे जीवन में,एक और दिसम्बर आया है,
देख तुम्हारे जीवन में,एक और दिसम्बर आया है।
गुजर गए पतझड़,वसन्त फिर,
गुजर गए सावन के पल फिर,
गुजर गई एक साल जवानी,
तिल-तिल रिसता घट का पानी,
तिल-तिल दिन और मास गुजरता,
हाँथों से ये साल निकलता,
अटल सत्य गतिमान जिंदगी,
थम जाना निर्वाण जिंदगी,
यही राज बतलाया था कल,पुनः बताने आया है,
देख तुम्हारे जीवन में एक और दिसम्बर आया है।
सोच कई कसमें खाए थे,
तूने कभी दिसम्बर में,
टूट गए या जिंदा कसमें,
सोच ले अभी दिसम्बर में,
सोच कभी फुर्सत के क्षण में,
क्या खोया क्या पाया मन में,
सोच पड़ा क्यों सुप्त तुम्हें झकझोर जगाने आया है,
देख तुम्हारे जीवन में एक और दिसम्बर आया है।
याद हमें वो माह दिसम्बर,
कैसे बिछड़ा यार दिसम्बर,
तुम तो फिर वापस आए हो,
वो ना आया यार दिसम्बर,
कुछ बिछड़े कुछ साथ खड़े हैं,
नव साथी मुस्कान बने हैं,
कुछ गुमशुम से खोए-खोए,
स्मृति पटल में सोए-सोए,
मगर पड़े उन पन्नों से फिर धूल उड़ाने आया है,
खुश हैं हम एक छोड़ गया एक पास दिसम्बर आया है,
बड़भागी मैं जीवन में,एक और दिसम्बर आया है।
!!! मधुसूदन !!!
दीदी नही भाई।😑
बहुत खूब दीदी
Bahut sundar
सुक्रिया आपका।
🙏