Khatre men Kaun..?
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क्यों खतरा-खतरा चिल्लाते,
फिरते हो रास्ते में,
फुर्सत में देखो अंतर्मन,
है कौन खतरे में,
ना हिन्दू खतरे में है ना इस्लाम खतरे में,
ऐ नफरत के सौदागर है इंसान खतरे में।
था अमन भरा धरती पर,
कितना नफरत फैलाया,
क्या पाया मुड़कर देख,
बना कैसा दुनियाँ सारा,
हम ईद मनाते थे मिलजुल,
हम होली गाते थे,
अब नफरत रखते आँखों में,
बस नफरत गाते हैं,
अब गीता खतरे में है ना कुरान खतरे में,
सुन धर्मों के सौदागर हिन्दुस्तान खतरे में।
सब अपनी-अपनी मजहब के,
बन बैठे रखवाले,
सब पूछ रहे हर इंसाँ से,
क्या धर्म है बतलादे,
धोती,टोपी से है सबकी,
पहचान धर्मों का,
ये कैसा कलियुग आया,
मिटती जान अपनों का,
ना घंटा खतरे में है ना अजान खतरे में,
टकराने में दोनों के है अरमान खतरे में।
अब बसकर नफरत करना,
शक्ति सहन की क्षीण हुयी,
तुम दोनों के झंझट में,
दिल ये भक्ति हीन हुयी,
सब कहते एक स्वर में,
जग में ईश्वर एक है,
फिर हरे,लाल की दुनियाँ में,
कैसी ये रेस है,
है धर्म बता दे कौन,
जहाँ में नफरत फैलाता,
आ उसे मिटा जो एक दूजे को,
नीचा दिखलाता,
ना अल्लाह खतरे में है ना भगवान् खतरे में,
तुम दोनों के झगडे में है जहान खतरे में।
!!! मधुसूदन !!!
सब कहते एक स्वर में,
जग में ईश्वर एक है,
फिर हरे,लाल की दुनियाँ में,
कैसी ये रेस है,
है धर्म बता दे कौन,
जहाँ में नफरत फैलाता,
आ उसे मिटा जो एक दूजे को,
नीचा दिखलाता,
वाह सर वाह आपकी लेखन के तारीफ में क्या अल्फ़ाज़ कहु शब्द नहीं मिल रहे हैं आप लाजवाब हो गुरूजी सत सत नमन हो आपको 👏👏👏👏👏👏👏
मेरे तरफ से आपको कोटि कोटि नमन आप मेरे ब्लॉग पर आये और तारीफों के पूल बांध दिए।
🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति हुई है कविता में। बहुत खूब।
aapne padha pasand kiya aur saraaha ….bahut bahut dhanyawad apka.
bahut hi umda madhusudan ji bahut khub
waah …..aaj lagta hai aap hamare blog par ghum rahen hai……sukriya Danish ji ek saath etne saare kavita padhne aur sarahna karne ke liye….
asal me bahut dino baad thodi fursat mili hai kaam se to bas sabke blog padhte ja raha hun ek ek karke
Chaliye badjiya hai…..dua karenge aapke liye….aise hi fursat milta rahe……kaam bhi badhiya chalta rahe…
SUKRIYA
🙏🙏
प्रेरक
सुक्रिया आपका।
बहुत सुंदर
Dhanyawad apka..
शानदार लेखनी
मधुसूदन, तुम हरफ़नमौला हो, कोई भी विषय हो, प्रसंग हो, त्यौहार हो , तुम्हारी कलम से अमृत बरसता है |
भई हमें भी अपनी इस दिव्य ऊर्जा का स्त्रोत्र बताओ , कुछ हमारा भी भला हो जाये.
बहुत बड़ी प्रशंसा ।सुक्रिया आपने पसंद किया और सराहा साथ ही हौसला बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Thanks
Ekdam satik!
Dhanyawad apka apne pasand kiya aur saraha…
Sahi likha sir
Sukriya apka..
Satya kathan, sunder rachana.
Dhanyawad apka apne pasand kiya aur saraha.