MAA/माँ

माँ, तूँ पास ना होकर भी समीप है,
कैसे कहूँ तूँ कितना करीब है,
जब भी कोई दुख होता,सह लेते,
ये सोचकर कि तुम दूर हो
मगर हो तो सही,
एक आवाज,
और दौड़ी चली आओगी,
माँ,
पता है,
आज मदर डे है,
तुझे याद करने का दिन!
हमें नही पता ये दिन किसने बनाए,
हमें ये भी नही पता,
वो कौन सा क्षण जब हम तुझे भूल पाए!
माना सबका मेरे जैसा तकदीर नही,
कई ऐसे भी हैं जिनकी माँ क्या,
माँ की तस्वीर भी नही,
समय की सुई,
कभी हँसाती कभी रुलाती है,
माँ का दर्द कैसा उनसे पूछो जिनकी माँ नही,
या माँ से दूर मुस्कुराती है,
हम भी भूले नही,
कैसे कहें माँ,
तुम याद बहुत आती है,तुम याद बहुत आती है।
!!! मधुसूदन !!!
as usual best sir…
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
बहुत सुंदर सर
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
सुंदर लेखन। बधाइयाँ। 👍👏👏👏
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
बहुत अच्छी कविता है ,बहुत सुंदर लिखा है आपने Sir 😊😊
माँ, जिनके लिए कुछ भी लिखिए कम है और दिल तक पहुंचने के लिए तो सिर्फ माँ शब्द ही काफी है। धन्यवाद आपका सराहने के लिए
बिल्कुल सच कहा आपने , आपका बहुत बहुत स्वागत है
🙏🙏
Truly genius dada … wow 😍🌸
आपकी कविता पढा और एकाएक लिखा गया। धन्यवाद। आजकल आपकी कविता lucky sabit ho rahi hai mere liye.☺️
चल झूठे 😏😂😂
Talent भरा है कूट कूट कर …और luck की बात करते हो daddu 🌸❤
अतिसुन्दर
धन्यवाद आपका सराहने के लिए।
Bahut sundar likha hai sir aapne
Dhanyawad pasand karne ke liye.
Bohot Sundar likha hai. Aankhein nam ho gayi kuch pal ke liye. :’)
Bahut khushi huyee aapko pasand aayaa…waise Maa shabd hi kaphi hai.
Beautiful sir. Your poem truly made me emotional. Hats for the wonderful tribute . Maa apne aap mein itna badha sabdh hai. Sagar jaisi gherayi..
Bilkul sahi kaha….Maa shabd hi mahakavyon ki janni hai…..Maa jiski koyee seemaa nahi…..jisne ishwar ke bhi kaan pakde…..god me khilaaye…..Dhanyawad apka.
My pleasure sir
Awesome creation! What a tribute to Maa!
Maa to Maa hai kuchh bhi likhiye dil ko chhu jaati hai dhanyawad apka bhayee.