Image Credit :Google
पराधीन रहना ना जाना,
जीते जी था हार ना माना,
त्याग सुख महलों की जिसने,खाई रोटी घास की,
दोहराता हूँ कथा वीर उस महाराणा प्रताप की|२|
स्वर्णअक्षरों में अंकित,इतिहास भी शीश झुकाता है,
जो मातृभूमि की शान में अपनी,हँसकर शीश कटाता है,
वीरों से धरती भरी पड़ी,इतिहास भरी गाथाओं से,
भारत की धरती लाल पड़ी,उनकी शोणित धाराओं से,
बलिदान की गाथा कहती है,हल्दीघाटी की मैदाने,
अब भी शमशीर उगलती है,हल्दीघाटी की मैदाने,
रजवाड़े होते साथ अगर कल,काल वहाँ थर्रा जाता,
थी अकबर की औकात कहाँ जो राणा से टकरा पाता,
योद्धा था साढ़े सात फिट का,शेर का जिगरा रखता था,
था वजन एक सौ दस किलो का चीते जैसा चलता था,
थी कवच वदन पर सजती उसकी वजन बहत्तर किलो की,
संग किलो दो सौ आठ वजन हथियार सदा वह रखता था,
था वजनी जितना अकबर केवल भाला थी प्रताप की,
दोहराता हूँ कथा वीर उस महाराणा प्रताप की|२|1
rituojha says
Shabdo ka chunaav kya khoob hai.. bohot hi achhi rachna!
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
ShankySalty says
हाथों के रोंगटे खड़े हो गए………..एैसे महान वीर योद्धा को सुनकर गौरव कि अनुभूति होते है…..तो सोचिये जरा इनके दर्शन से कैसा महसूस होता होगा। आपकी पंक्तियों नें जान डाल दिया है।
क्या शब्द है
अकबर की औकात कहाँ जो राणा से टकरा पाता,
योद्धा था साढ़े सात फिट का,शेर का जिगरा रखता था,
था वजन एक सौ दस किलो का चीते जैसा चलता था,
थी कवच वदन पर सजती उसकी वजन बहत्तर किलो की,
संग किलो दो सौ आठ वजन हथियार सदा वह रखता था,
था वजनी जितना अकबर केवल भाला थी प्रताप की,
Madhusudan Singh says
वाकई ये पंक्तियाँ लिखने के बाद जब पढा तो हमारी भी ऐसी ही हालत थी। बहुग बहुत धन्यवाद आपका सराहने के लिए।
madansingh4567 says
बहुत ही सुन्दर
Madhusudan Singh says
सुक्रिया आपका पसन्द करने के लिए।
aruna3 says
महाराणा प्रताप तो अब तक भारत के महान गौरव हैं और हमेशा रहेंगे।उन्हे शत शत नमन।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Madhusudan Singh says
शाय शत नमन।👏👏👏
aruna3 says
मेरा भी उन्हें शत शत नमन।
Rekha Sahay says
सही है, ऐसा वीर योद्धा , नमन है उन्हें. सुंदर रचना .
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।