MAHARANA PRATAP/महाराणा प्रताप
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पराधीन रहना ना जाना,
जीते जी था हार ना माना,
त्याग सुख महलों की जिसने,खाई रोटी घास की,
दोहराता हूँ कथा वीर उस महाराणा प्रताप की|२|
स्वर्णअक्षरों में अंकित,इतिहास भी शीश झुकाता है,
जो मातृभूमि की शान में अपनी,हँसकर शीश कटाता है,
वीरों से धरती भरी पड़ी,इतिहास भरी गाथाओं से,
भारत की धरती लाल पड़ी,उनकी शोणित धाराओं से,
बलिदान की गाथा कहती है,हल्दीघाटी की मैदाने,
अब भी शमशीर उगलती है,हल्दीघाटी की मैदाने,
रजवाड़े होते साथ अगर कल,काल वहाँ थर्रा जाता,
थी अकबर की औकात कहाँ जो राणा से टकरा पाता,
योद्धा था साढ़े सात फिट का,शेर का जिगरा रखता था,
था वजन एक सौ दस किलो का चीते जैसा चलता था,
थी कवच वदन पर सजती उसकी वजन बहत्तर किलो की,
संग किलो दो सौ आठ वजन हथियार सदा वह रखता था,
था वजनी जितना अकबर केवल भाला थी प्रताप की,
दोहराता हूँ कथा वीर उस महाराणा प्रताप की|२|1
Shabdo ka chunaav kya khoob hai.. bohot hi achhi rachna!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
हाथों के रोंगटे खड़े हो गए………..एैसे महान वीर योद्धा को सुनकर गौरव कि अनुभूति होते है…..तो सोचिये जरा इनके दर्शन से कैसा महसूस होता होगा। आपकी पंक्तियों नें जान डाल दिया है।
क्या शब्द है
अकबर की औकात कहाँ जो राणा से टकरा पाता,
योद्धा था साढ़े सात फिट का,शेर का जिगरा रखता था,
था वजन एक सौ दस किलो का चीते जैसा चलता था,
थी कवच वदन पर सजती उसकी वजन बहत्तर किलो की,
संग किलो दो सौ आठ वजन हथियार सदा वह रखता था,
था वजनी जितना अकबर केवल भाला थी प्रताप की,
वाकई ये पंक्तियाँ लिखने के बाद जब पढा तो हमारी भी ऐसी ही हालत थी। बहुग बहुत धन्यवाद आपका सराहने के लिए।
बहुत ही सुन्दर
सुक्रिया आपका पसन्द करने के लिए।
महाराणा प्रताप तो अब तक भारत के महान गौरव हैं और हमेशा रहेंगे।उन्हे शत शत नमन।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
शाय शत नमन।👏👏👏
मेरा भी उन्हें शत शत नमन।
सही है, ऐसा वीर योद्धा , नमन है उन्हें. सुंदर रचना .
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।