रानी पद्मावती,
माना की राजपूतों की शान थी,
मगर उसके पहले वह हिन्दुस्तानियों की आन थी,
खूबसूरत होना कोई पाप नहीं,
ना ही नारी होना गुनाह,
कहते हैं डोली में बैठते ही नारियाँ,
किसी और की हो जाती है,
फिर उसे पाने की लालसा बेहयाई मानी जाती है,
मगर खिलजी,
उसने तो क्रूरता की हद कर दी,
पराई नार के लिए उसके पति से जंग कर दी,
मगर दोष उसका नहीं,
ये तो उसके कुनबे की रिवाज थी,
सच में उसकी संस्कृति जंगली,
और नियत बेईमान थी,
चुभता एक काँटा तो आह निकलता है,
खुद को जिन्दा जलाना आसान नहीं,
सबब था खिलजी जैसे दुष्टों को,
नारी कोई लूट का सामान नहीं,
पांडवों के कुकृत्य को छोड़,
इतिहास गवाह है,
हम भारतीय
जीते जी नारियों पर आँच नहीं आने देते,
कट जाए गर्दन परवाह नहीं,
मगर उनका सम्मान नहीं जाने देते,
और नारियाँ अपने सुहाग के लिए,
यमराज को झुका देती है,
संकट के वक्त हाथों में खडग सजा लेती है,
आती जब सम्मान पर आँच
जलती चिता में खुद को जिन्दा जला देती है,
धन्य है पद्मिनी और भारतीय नारियाँ,
जिन्होंने अपने पति को छोड़,
दुनियाँ के धन-बैभव को तुक्ष माना,
मगर मलेक्ष खिलजी और
समान सोंच रखनेवाले इंसान आज भी
उसके सोंच को ना पहचाना।
!!!मधुसूदन!!!
Nageshwar singh says
गौरवान्वित गाथा
इतिहास की अमिट
राजपुताना परिभाषा
🙏🙏🙏
Madhusudan says
bilkul…….jinme kisi bhi jaatiyon ka kam yogdaan nahi raha hai mere samajh se ………..jai Rajputana………Jai Hindustaan…….jai Bharatwaasi.
aruna3 says
Good n true.
Madhusudan says
Thank you very much.
aruna3 says
Welcome dear!!