MERE GANESHA/मेरे गणेश
Image Credit : Google
किसके क्या तुम नही जानते,
केवल मूरत नही मानते,
जनम-जनम का सेवक मैं,तूँ
आका,प्रभु,प्राणेश,
ऐ विघ्नेश,
कर तूँ दूर हमारे सारे कष्ट,क्लेश,
ऐ विघ्नेश।
तुम गौरी के प्राण प्यारे,
विघ्नेश्वर तुम, कहते सारे,
रिद्धि-सिद्धि के तुम हो दाता,
बल,बुद्धि,धन,जन सुखदाता,
एकदन्त,हे महाकाय
हैं तेरे पिता महेश,
ऐ विघ्नेश,
कर दे दूर हमारे सारे कष्ट,क्लेश,
ऐ विघ्नेश।
हे गणनायक,धर्म के रक्षक,
देख धर्म के बढ़ गए भक्षक,
कर उपकार जीर्ण तन हारे,
अब हम आए शरण तुम्हारे,
करो अनुग्रह वर दो,कर तुम,
दैत्य मुक्त फिर देश,
ऐ विघ्नेश,
कर तूँ दूर हमारे सारे कष्ट,क्लेश,
ऐ विघ्नेश।
!!!मधुसूदन!!!
बहुत ही अच्छी पंक्तियाँ है
केवल मूरत नही मानते,
जनम-जनम का सेवक मैं,
तूँ आका, प्रभु, प्राणेश,
ऐ विघ्नेश,
कर तूँ दूर हमारे सारे कष्ट, क्लेश
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
Bahot Sundar Sir Ji!
Bahut bahut dhanyawad apka.
सुंदर सृजन. ॐ गणपतये नमः.
सुक्रिया सर पसन्द करने और सराहने के लिए।