बिटिया तूँ धरा पर आई तुमसे प्यार करेंगे,
फिर भी डरते हैं किससे निकाह करेंगे,
बिटिया किससे तुम्हारा विवाह करेंगे।1
तूँ आई जिस लोक वहाँ हँसकर जीना आसान नही,
फूल हमारी इस धरती पर तेरा है सम्मान नही,
तनया मेरी तूँ अबोध क्या जाने इस संसार को,
कदम-कदम पर दैत्य खड़े हैं तेरे इंतजार को,
बिटिया हर निशाचरों से हम बचाव करेंगे,
फिर भी डरते हैं किससे निकाह करेंगे,
बिटिया किससे तुम्हारा विवाह करेंगे।2
तेरे आते देख यहाँ पर कैसी मातम छाई है,
सर्वगुणी,लक्ष्मी,सुलक्षीणी,कुलक्षिणी कहलाई है,
कलतक थे जो साथ वही अब खफा-खफा से रहते हैं,
तुझे मार दूँ गला घोंट सब हमसे कहते रहते हैं,
बिटिया तेरे लिए सारा अत्याचार सहेंगे,
फिर भी डरते हैं किससे निकाह करेंगे,
बिटिया किससे तुम्हारा विवाह करेंगे।3
तुझे पढ़ाने को हम सारे,गहने गिरवी रख देंगे,
अगर जरूरी पड़ी तुम्हारे कारण भूखे रह लेंगे,
जब हँसते सब गम मिट जाते,ऐसे ही मुस्काना तुम,
माँ पर होते जुल्म देखकर तनया मत डर जाना तुम,
बिटिया तेरे लिए काली के समान बनेंगे,
फिर भी डरते हैं किससे निकाह करेंगे,
बिटिया किससे तुम्हारा विवाह करेंगे।4
!!!मधुसूदन!!!

ShankySalty says
एैसा लगता है…..आपने तीर चला दिया…….हर शब्द दिल को छुती है……यह तो व्यथा इसलिए है क्योंकि हम नहीं सुधरे है।
Madhusudan Singh says
बिल्कुल। अभी समाज मे बहुत सुधार की जरूरत है। प्रत्येक को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। वैसे बदलाव हो रहा है।
myexpressionofthoughtsblog says
Beautiful poem sir
Madhusudan Singh says
bahut bahut dhanyawad apke beskimati pratikriya ke liye.
Shantanu Baruah says
Splendid work
Madhusudan Singh says
Bahut bahut dhanywad mitra.
aruna3 says
आज की बेटियाँ बाबुल के घर सुरक्षित हैं पर शादी के नाम से माँ बाप भी डरते हैं-वाकई आज भी बेटी के जन्म पर लोगों की मानसिकता नहीं बदली।समाज का एक कड़वा सच उजागर किया है आपने।ओह,लाड़ प्यार से पली मेरी बेटियाँ…….बहुत डर लगता है -कैसे भेजूं पराये घर,जब कि अपने घर में ही सुनने वाले तानों से बड़ी मुश्किल से बचाया है।
Madhusudan Singh says
पत्नी सुशील हो,पढ़ी लिखी हो,जॉब कर रही हो तो क्या कहना मगर सबको वो दहेज के साथ चाहिए। अपनी सारी दुनियाँ बेच जिस पिता ने अपनी बेटी को इतना योग्य बनाया हो अब वह दहेज भी जुगाड़ करे यहीं पर हमें बेटे बेटियों में फर्क महशुश होने लगता है।
बेटा नही पढ़ाया तो भी दहेज की उम्मीद।
बेटी पढ़ी तब भी दहेज।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सराहने के लिए।
aruna3 says
Most welcome for appreciation.
Nimish says
बहुत बढ़िया 👌👌👌
बहुत दिन बाद कोई इतनी प्यारी कविता पढ़ा❤✨
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद भाई। कविता में चार चांद लगा दी आपने।