PREM

खेतों में फसल के साथ खरपतवार भी उगते हैं,

हम उसे फसल नही कहते,

उखाड़ फेंकते हैं,

वासना भी प्रेम की दुनियाँ में

खरपतवार से ज्यादा कुछ नहीं,

उसे प्रेम का नाम ना दें,

प्रेम दो आत्माओं का मिलन है

और वासना दो जिस्मों का

जहाँ प्रेम है वहाँ वासना नहीं,जहाँ वासना है वहाँ प्रेम कहाँ।

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26 Comments

    • धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।

  • 👌👌👌sach ,Bilkul sach

    Dono को एक समझना मूरखता है ….प्रेम कृष्ण जैसा पवित है तो वही वासना कंस के जैसे पाखंड 😚😚

    बहुत सुन्दर

    • धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए। आज आपका ट्वीट पढा और अपना विचार रख दिया।

        • यही उम्र है । कर लीजिए जितना करना है, फिर मौका नही मिलेगा। अधिकतर लोगो की जिंदगी तो ये सोचकर ही गुजर जाता है कि लोग क्या कहेंगे।

  • Bhaisahab Osho कुछ अलग ही कहते हैं । उनका कहना है कहीं से भी और किसी भी रास्ते से प्यार यह महत्त्वपूर्ण है। स॔भोग से भी समाधि प्राप्त हो सकती है।

    • धन्यवाद भाई साहब अपने खूबसूरत विचार साझा करने के लिए।

      उनका भी कहना अपने जगह पर सही है। वे तो कहते हैं कि अपने प्रेमी के पास ऐसे जाएँ जैसे कोई याचक,भक्त अपने रब के पास जाता है, हाथ जोड़े,प्रेम और भरोसे से ओतप्रोत। भक्त कभी अपने भगवान को चाहे कितनी भी संकट आ जाये धोखा नही देता,अविश्वास नहीं करता और ना ही बीच राह में छोड़ आगे बढ़ जाता है।फिर समाधि का आनंद जरूर मिलेगा।
      उनके दर्शन को भी समझने की जरूरत है।

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