आजादी के वीर सपूतों,पूर्वज पर अभिमान करूँ,
किन शब्दों से करूँ अलंकृत,किनसे मैं गुणगान करूँ।
कितने ऐसे लाल वतन हेतू रण में थे कूद गए,
लानत हम पर कैसे उन वीरों को हमसब भूल गए,
कैसे हुए पटेल किसी एक दल की ग्लानि होती है,
कैसे गाँधीजी पर एक दल की मनमानी होती है,
लौह पुरुष की बनी प्रतिमा उसपर मैं अभिमान करूँ,
किन शब्दों से करूँ अलंकृत,किनसे मैं गुणगान करूँ।
जिसने कई रियासत जोड़े,रजवाड़ों के शासन तोड़े,
दुश्मन बैठे इंतजार में,उनके स्वप्न के आसन तोड़े,
कर्मवीर तूँ धर्मवीर तूँ तुमपर मैं अभिमान करूँ,
किन शब्दों से करूँ अलंकृत,किनसे मैं गुणगान करूँ।
आज यहाँ कुछ वीरों के संग तेरे चर्चे आम हुए,
दुख है देख प्रतिमा तेरी कुछ के दिल क्यों राख हुए,
वर्षों बाद मिली प्रतिष्ठा उसपर मैं अभिमान करूँ,
किन शब्दों से करूँ अलंकृत,किनसे मैं गुणगान करूँ,
किन शब्दों से करूँ अलंकृत,किनसे मैं गुणगान करूँ।
!!!Madhusudan!!!
nitinsingh says
बेहतरीन 🙏🙏
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपका।🙏🙏
aruna3 says
मुझे अपने देश के इस वीर सपूत पर गर्व है।
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपका। जय हिंद।
Sunith says
Bahut sundar rachna
Madhusudan Singh says
Bahut bahut dhanyawad mitra.👏👏