Satyameo Jayate
अँधेरे को अँधेरा,उजाले को उजाला भाता है,
किसी को सूरज किसी को चाँद रास आता है,
निरंकुश तो जमाने में हमने भी बहुत देखें हैं,
सत्य के आगे तो अशोक भी हार जाता है।
स्वार्थ जब भी बढ़ा,बादल की तरह अम्बर में,
सत्य ढकता रहा सूरज की तरह अम्बर में,
लोग निरंकुशता में सत्य भूल जाते हैं,
औरों के दुःख और दर्द भूल जाते हैं,
स्वार्थी विचार को अधिकार बना लेते हैं,
मानव ही मानव को दास बना लेते हैं,
गांव,घर,शहर,देश,जाति, धर्म देखा है,
हर किसी के अंदर एक तानाशाह देखा है,
रोज हवा देता गलत अपनी विचारों को,
रब का बना देता छल से अपनी बिचारों को,
नादाँ इंसान बिचारों में उलझ जाता है,
जाति, धर्म-चक्रब्यूह तोड़ नहीं पाता है,
होती है जंग फिर बर्चस्व की जमाने में,
मिटते हैं लोग चीख गूंजती है हवाओं में,
सारे विचार फिर ख़ाक बन जाता है,
बेबस इंसान तड़प रब के पास जाता है,
आँखों में आँसूं शमशान सी जमाने में,
आशा की किरण लिए बुद्ध कोई आता है,
सत्य के आगे फिर अशोक हार जाता है।
आओ मिलजुलकर एक जहान हम बनाते हैं,
स्वार्थपरक नीतियों को दूर मिल भगाते हैं,
धर्म से आडंबरों को,जातियों से जातिवाद,
क्षेत्रवाद,धोती,टोपी मिलकर हम मिटाते हैं,
जंग की यही कड़ी,बंधे हैं जिसके फास में,
सुगबुगाहटें सुनों तुम जंग की जहान में,
प्रेम की मिठास घोल स्वार्थ ये रुलाता है,
सत्य के आगे तो अशोक हार जाता है।
!!! मधुसूदन !!!
वंडरफुल
धन्यवाद आपका।
बेहतरीन!! बहुत खूब
सुक्रिया —-बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Apki har ek Kavita samaj ko ek positive sandesh deti Hai
Bhut achhi soch !
Hausla badhaanewaali shabdon ke liye bahut bahut abhaar aapka.
लाजवाब सर…..
Bahut bahut sukriya aapka.
Sir aapse kfi sheekhne ko mil rha h isliye aapko bht shukriya
Abhar aapka ham sabhi ek dusre se sikhte hain…..padhna kabhi jaayaa nahi jaata….padhte rahiye likhte rahiye.dhanyawaad.
Jaisa aadesh aapka.
आशीष बडो का साथ हो
हर राह आसां हो जाती है।
प्रेम की मिठास घोल स्वार्थ ये रुलाता है,
सत्य के आगे तो अशोक हार जाता है।
bahut khub bhakti purn
Bhakti ke madhyam se samaaj me faili kuritiyon evam nafrat ko dikhaane kaa ek prayaas. Sukriya aapka.
आपकी कामना सही है. पर देखे कोई बुद्ध फ़िर कब आयेंगे ?
आशा की किरण लिए बुद्ध कोई आता है,
सत्य के आगे फिर अशोक हार जाता है।
Sukriya……ummid hi jindagi hai….dhanyawaad aapko pasand aaya.
Incredible bhai ji, very nicely presented.
Abhaar abhay ji ….mudda dene evam pasand karne ke liye.
Umda madhusudan ji. Behad Umda
सुक्रिया–आपने पसंद किया बहुत बहुत आभार आपका।
“रोज हवा देता गलत अपनी विचारों को,
रब का बना देता छल से अपनी बिचारों को,
नादाँ इंसान बिचारों में उलझ जाता है,”
Bahut hi khoobsurat
आपने पसंद किया बहुत बहुत धन्यवाद।