Tulsidas (ek Prem katha) pad men
तुलसीदास एक प्रेम कथा……..पद में
काली अंधेरी बादलों से गरजती शाम, बाहर से घर आना,अपने प्राणप्रिये को घर में नहीं पाना एवं आस- पड़ोस के द्वारा उसके पिता की आने की खबर सुन तुलसी अपने व्यग्र दिल की बातें सुन बिना किसी संकट को सोंचे उफनती नदी को पार कर खिड़की के रास्ते अपने नयी नवेली पत्नी के कमरे में प्रवेश कर जाते हैं।
वह ज़माना जब पति ही सब कुछ हो कोई भी पत्नी अपने पति को योगी नहीं बनने देना चाहेगी फिर भी उनको सामने देख लोक लाज से सम्बंधित हज़ारो बाते एक साथ उसके मन को झकझोरने लगी।सुबह बिन बोलाए मेहमान को देख लोग क्या सोचेगे।यह सोंच अनायास उसके मुंह खुल गए और अपने प्राण प्रिये पति को तरह तरह से समझाने लगी…………..
बोल—- फ़िल्मी…….तू वादा ना तोड़…..।
धिक्-धिक् तुझे स्वामी मेरे,
स्वामी मेरे धिक्-धिक् तुझे,
ओ बनजा राम के शरण अनुरागी——-,
धिक्-धिक् तुझे स्वामी मेरे———।
आधी-आधी रात क्यों मिलने को आये,
अस्थि-पंजर से क्यों प्रीत लगाये,
मिलने को सुबहाँ जब आएँगी सखियाँ,
कैसे कहेंगे तेरे आने की बतियाँ,
मेरी लाज रखो जाओ स्वामी…….
धिक्-धिक् तुझे स्वामी मेरे———,
ओ बनजा राम के शरण अनुरागी—–।।
प्रेम दीवाना तू ना जाना,
विषधर को तू ना पहचाना,
जान की बाज़ी तूने लगा दी,
लास को तूने ना पहचाना,
तेरी जान बचा दी अंतर्यामी——–,
धिक्-धिक् तुझे स्वामी मेरे———।
ओ बनजा राम के शरण अनुरागी——।।
इतना प्रेम जो राम से लगाते,
बैठी बैकुंठ अमर पद पाते,
बाबुल की पगड़ी कुल का गौरव,
मेरा भी अब मान बचाले,
ओ जा ना बिनती करे ये तेरी दासी——,
धिक्-धिक् तुझे स्वामी मेरे,
स्वामी मेरे धिक्-धिक् तुझे……….
ओ बनजा राम के शरण अनुरागी——-।।
सुन भार्या की कटु वचन, टूटी दिल की आस,
राम धुन तुलसी भये बन गए तुलसीदास ।
!!मधुसूदन !!!
Tulsidas ek prem katha (pad me)
Bol…filmi…tu wada naa tod
Dhik dhik tujhe swaami mere, swaami mere dhik dhik tujhe,
Ban jaa ram ke sharan anuraagi….
Dhik dhik tujhe……
Aadhi aadhi raat kyun milne ko aaye,
Asthi panzar se kyun preet lagaaye,
Milne ko subahaa jab aayengi sakhiya,
Kaise kahenge tere aane ki batiyaan,
Meri laaj rakho jaao swaami…
Dhik dhik tujhe……
Ban jaa ram ke sharan aburaagi….1
Prem deewaana tu naa jaanaa,
Bishdhar ko tu naa pahchaana,
Jaan ki baaji tune lagaadi,
Laas ko tune naa pehchaana,
Teri jaan bachaa di anteryaami,
Dhik dhik tujhe……
Ban jaa ram ke sharan aburaagi….2
Etna prem jo raam se lagaate,
Baithi baikunth amar pad paate,
Baabul ki pagdi kul kaa gaurav,
Meraa bhi ab maan bachaale
O jaanaa binati karu ye teri daasi….
Dhik dhik tujhe……
Ban jaa ram ke sharan aburaagi……………3
Sun bhaaryaa ki katu wachan,
Tuti dil ki aash,
Raam dhun tulsi bhaye, ban gye tulsidaas.
Madhusudan
अद्भुत वर्णन
धन्यवाद——-
Bhut ache sir
Thanks
बहुत सुंदर वर्णन 😊😊😊
धन्यवाद सर
wah sir
सुक्रिया——