dharm vahaan bhee hai jahaan hamaara desh nahin magar
jab dharm par sankat aata hai tab
sabhee aavaaj nahin uthaate,
magar jab desh par sankat aata hai tab
koee maun nahin rahata ..
!!! Madhusudan !!!
“काश लोग वीरांगना हीरादे से कुछ सीख लेते”
संवत 1368 (ई.सन 1311) मंगलवार बैसाख सुदी 5 के दिन विका दहिया द्वारा जालौर दुर्ग के गुप्त भेद अल्लाउद्दीन खिलजी को बताने के परिणाम स्वरूप मिली धन की गठरी लेकर बेहद खुश होकर अपने घर लौट रहा था ! पहली बार इतना ज्यादा धन देख उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था ! चलते चलते रास्ते में सोच रहा था कि इतना धन देखकर उसकी पत्नी हीरादे बहुत खुश होगी ! इस धन से वह अपनी पत्नी के लिए गहने बनवायेगा, युद्ध समाप्ति के बाद इस धन से एक आलिशान हवेली का निर्माण करवाएगा, हवेली के आगे घोड़े बंधे होंगे, नौकर चाकर होंगे, अलाउद्दीन द्वारा जालौर किले में तैनात सूबेदार के दरबार में उसकी बड़ी हैसियत समझी जायेगी ऐसी कल्पनाएँ करता हुआ वह घर पहुंचा और धन की गठरी कुटिल मुस्कान बिखेरते हुए अपनी पत्नी हीरादे को सौंपने हेतु बढाई !
अपने पति के हाथों में इतना धन व पति के चेहरे व हावभाव को देखते ही हीरादे को अल्लाउद्दीन खिलजी की जालौर युद्ध से निराश होकर दिल्ली लौटती फ़ौज का अचानक जालौर की तरफ वापस कूच करने का राज समझ आ गया ! वह समझ गयी कि उसके पति विका दहिया ने जालौर दुर्ग के असुरक्षित हिस्से का राज अल्लाउद्दीन की फ़ौज को बताकर अपने वतन जालौर व अपने पालक राजा कान्हड़ देव सोनगरा चौहान के साथ गद्दारी कर यह धन प्राप्त किया है !
उसने तुरंत अपने पति से पुछा-
“क्या यह धन आपको अल्लाउद्दीन की सेना को जालौर किले का कोई गुप्त भेद देने के बदले मिला है ?”
विका ने अपने मुंह पर कुटिल मुस्कान बिखेर कर व ख़ुशी से अपनी मुंडी ऊपर नीचे कर हीरादे के आगे स्वीकारोक्ति कर जबाब दे दिया !
यह समझते ही कि उसके पति विका ने अपनी मातृभूमि के लिए गद्दारी की है, अपने उस राजा के साथ विश्वासघात किया है जिसने आजतक इसका पोषण किया था ! हीरादे आग बबूला हो उठी और क्रोद्ध से भरकर अपने पति को धिक्कारते हुए दहाड़ उठी –
“अरे ! गद्दार आज विपदा के समय दुश्मन को किले की गुप्त जानकारी देकर अपने वतन के साथ गद्दारी करते हुए तुझे शर्म नहीं आई ? क्या तुम्हें ऐसा करने के लिए ही तुम्हारी माँ ने जन्म दिया था ? अपनी माँ का दूध लजाते हुए तुझे जरा सी भी शर्म नहीं आई ? क्या तुम एक क्षत्रिय होने के बावजूद क्षत्रिय द्वारा निभाये जाने वाले स्वामिभक्ति धर्म के बारे में भूल गए थे ?
विका दहिया ने हीरादे को समझा कर शांत करने की कोशिश की पर हीरादे जैसी देशभक्त क्षत्रिय नारी उसके बहकावे में कैसे आ सकती थी ? पति पत्नी के बीच इसी बात पर बहस बढ़ गयी ! विका दहिया की हीरादे को समझाने की हर कोशिश ने उसके क्रोध की अग्नि में घी का ही कार्य ही किया !
हीरादे पति की इस गद्दारी से बहुत दुखी व क्रोधित हुई ! उसे अपने आपको ऐसे गद्दार पति की पत्नी मानते हुए शर्म महसूस होने लगी ! उसने मन में सोचा कि युद्ध के बाद उसे एक गद्दार व देशद्रोही की बीबी होने के ताने सुनने पड़ेंगे और उस जैसी देशभक्त ऐसे गद्दार के साथ रह भी कैसे सकती है ! इन्ही विचारों के साथ किले की सुरक्षा की गोपनीयता दुश्मन को पता चलने के बाद युद्ध के होने वाले संभावित परिणाम और जालौर दुर्ग में युद्ध से पहले होने वाले जौहर के दृश्य उसके मन मष्तिष्क में चलचित्र की भांति चलने लगे ! जालौर दुर्ग की राणियों व अन्य महिलाओं द्वारा युद्ध में हारने की आशंका के चलते अपने सतीत्व की रक्षा के लिए जौहर की धधकती ज्वाला में कूदने के दृश्य और छोटे छोटे बच्चों के रोने विलापने के दृश्य, उन दृश्यों में योद्धाओं के चहरे के भाव जिनकी अर्धान्ग्नियाँ उनकी आँखों के सामने जौहर चिता पर चढ़ अपने आपको पवित्र अग्नि के हवाले करने वाली थी स्पष्ट दिख रहे थे ! साथ ही दिख रहा था जालौर के रणबांकुरों द्वारा किया जाने वाले शाके का दृश्य जिसमें जालौर के रणबांकुरे दुश्मन से अपने रक्त के आखिरी कतरे तक लोहा लेते लेते कट मरते हुए मातृभूमि की रक्षार्थ शहीद हो रहे थे ! एक तरफ उसे जालौर के राष्ट्रभक्त वीर स्वातंत्र्य की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति देकर स्वर्ग गमन करते नजर आ रहे थे तो दूसरी और उसकी आँखों के आगे उसका राष्ट्रद्रोही पति खड़ा था !
ऐसे दृश्यों के मन आते ही हीरादे विचलित व व्यथित हो गई थी ! उन विभत्स दृश्यों के पीछे सिर्फ उसे अपने पति की गद्दारी नजर आ रही थी ! उसकी नजर में सिर्फ और सिर्फ उसका पति ही इनका जिम्मेदार था !
हीरादे की नजर में पति द्वारा किया गया यह एक ऐसा जघन्य अपराध था जिसका दंड उसी वक्त देना आवश्यक था ! उसने मन ही मन अपने गद्दार पति को इस गद्दारी का दंड देने का निश्चय किया ! उसके सामने एक तरफ उसका सुहाग था तो दूसरी तरफ देश के साथ अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी करने वाला गद्दार पति ! उसे एक तरफ देश के गद्दार को मारकर उसे सजा देने का कर्तव्य था तो दूसरी और उसका अपना उजड़ता सुहाग ! आखिर उस देशभक्त वीरांगना ने तय किया कि -“अपनी मातृभूमि की सुरक्षा के लिए यदि उसका सुहाग खतरा बना है और उसके पति ने देश के प्रति विश्वासघात किया है तो ऐसे अपराध व दरिंदगी के लिए उसकी भी हत्या कर देनी चाहिए ! गद्दारों के लिए यही एक मात्र सजा है !”
मन में उठते ऐसे अनेक विचारों ने हीरादे के रोष को और भड़का दिया उसका शरीर क्रोध के मारे कांप रहा था उसके हाथ देशद्रोही को सजा देने के लिए तड़फ रहे थे और हीरादे ने आव देखा न ताव पास ही रखी तलवार उठा अपने गद्दार और देशद्रोही पति का एक झटके में सिर काट डाला !
हीरादे के एक ही वार से विका दहिया का सिर कट कर ऐसे लुढक गया जैसे किसी रेत के टीले पर तुम्बे की बेल पर लगा तुम्बा ऊंट की ठोकर खाकर लुढक जाता है ! और एक हाथ में नंगी तलवार व दुसरे हाथ में अपने गद्दार पति का कटा मस्तक लेकर उसने अपने राजा कान्हड़ देव को उसके एक सैनिक द्वारपाल द्वारा गद्दारी किये जाने व उसे उचित सजा दिए जाने की जानकारी दी !
कान्हड़ देव ने इस राष्ट्रभक्त वीरांगना को नमन किया और हीरादे जैसी वीरांगनाओं पर मन ही मन गर्व करते हुए कान्हड़ देव अल्लाउद्दीन की सेना से आज निर्णायक युद्द करने के लिए चल पड़े !
किसी कवि ने हीरादे द्वारा पति की करतूत का पता चलने की घटना के समय हीरादे के मुंह से अनायास ही निकले शब्दों का इस तरह वर्णन किया है-
“हिरादेवी भणइ चण्डाल सूं मुख देखाड्यूं काळ”
अर्थात्- विधाता आज कैसा दिन दिखाया है कि- “इस चण्डाल का मुंह देखना पड़ा !” यहाँ हीरादेवी ने चण्डाल शब्द का प्रयोग अपने पति वीका दहिया के लिए किया है !
इस तरह एक देशभक्त वीरांगना अपने पति को भी देशद्रोह व अपनी मातृभूमि के साथ गद्दारी करने पर दंड देने से नहीं चूकी !
देशभक्ति के ऐसे उदाहरण विरले ही मिलते है जब एक पत्नी ने अपने पति को देशद्रोह के लिए मौत के घाट उतार कर अपना सुहाग उजाड़ा हो पर अफ़सोस हीरादे के इतने बड़े त्याग व बलिदान को इतिहास में वो जगह नहीं मिली जिसकी वह हक़दार थी ! हीरादे ही क्यों जैसलमेर की माहेची व बलुन्दा ठिकाने की रानी बाघेली के बलिदान को भी इतिहासकारों ने जगह नहीं दी जबकि इन वीरांगनाओं का बलिदान व त्याग भी पन्नाधाय के बलिदान से कम ना था ! देश के ही क्या दुनियां के इतिहास में राष्ट्रभक्ति का ऐसा अतुलनीय अनूठा उदाहरण कहीं नहीं मिल सकता !
काश आज हमारे देश के बड़े अधिकारीयों, नेताओं व मंत्रियों की पत्नियाँ भी हीरादे जैसी देशभक्त नारी से सीख ले अपने भ्रष्ट पतियों का भले सिर कलम ना करें पर उन्हें धिक्कार कर बुरे कर्मों से रोक तो सकती ही है !
नारी नारायणी का स्वरूप होती है……..सर आप सब मेरे खून में उबाल ला दे रहे है…..कभी शिवाजी महाराज तो कभी हीरादे महारानी तो कभी ललकार भरी कविता……..हमें गर्व है कि हम इतने महान संस्कृति के वंशज है……जो हमारी संस्कृति पे बुरी नज़र डाल इसे उखाड़ फेंकनें कि कोशिश करेंगा उसे आज कि युवा पीढ़ी उखाड़ फेंकेगी। बस आज कि युवा पीढ़ी को हमारे इतिहास से अवगत करा सुं-संस्कारों का सिंचन करना होगा। मधुसूदन सर आपकी मैं ह्रदय से धन्यवाद करता हूं जो आपने 13वीं सदी कि एैसी वीरांगना की गाथा हम सब के साथ साझा किया🙏😊
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के।लिए। हमारी सभ्यता,संस्कृति और वीरता के अनगिनत किस्से हमारे इतिहास में लिखे पड़े हैं। लोगों ने हमारे इतिहास को नष्ट किया इमारते तोड़ी मगर हमारी वीरता विदेशियों ने खुद लिख डाली। उसे वे नहीं जला पाए। वाकई खून खौल जाता है।
Bahut hi khubsurat kahani…….kaash aisi naariyan aaj hathon men talwaar lekar gaddaaron par waar karti to apnaa desh jarur punah sone ki chidiyan ban jaataa.
Aapki kavitayein vishal hoti hain Sirji👏👏👏
Bahut bahut aabhaar apka hausla badhane ke liye.👏👏👏
👌👌 kavita भावपूर्ण है …
और हेरादे की कहानी पहली बार पढ़ी , बहुत सुंदर sir ☺️ 👍🌹
धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए। हमारे इतिहास के गहराई में बहुत कुछ छुपा है।
बिलकुल सच . लाजवाब लिखा है आपने .
पुनः धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
नारी नारायणी का स्वरूप होती है……..सर आप सब मेरे खून में उबाल ला दे रहे है…..कभी शिवाजी महाराज तो कभी हीरादे महारानी तो कभी ललकार भरी कविता……..हमें गर्व है कि हम इतने महान संस्कृति के वंशज है……जो हमारी संस्कृति पे बुरी नज़र डाल इसे उखाड़ फेंकनें कि कोशिश करेंगा उसे आज कि युवा पीढ़ी उखाड़ फेंकेगी। बस आज कि युवा पीढ़ी को हमारे इतिहास से अवगत करा सुं-संस्कारों का सिंचन करना होगा। मधुसूदन सर आपकी मैं ह्रदय से धन्यवाद करता हूं जो आपने 13वीं सदी कि एैसी वीरांगना की गाथा हम सब के साथ साझा किया🙏😊
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के।लिए। हमारी सभ्यता,संस्कृति और वीरता के अनगिनत किस्से हमारे इतिहास में लिखे पड़े हैं। लोगों ने हमारे इतिहास को नष्ट किया इमारते तोड़ी मगर हमारी वीरता विदेशियों ने खुद लिख डाली। उसे वे नहीं जला पाए। वाकई खून खौल जाता है।
A beautiful portrayal of deep emotions. A marvel to read
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
My absolute pleasure
Bahut hi khubsurat kahani…….kaash aisi naariyan aaj hathon men talwaar lekar gaddaaron par waar karti to apnaa desh jarur punah sone ki chidiyan ban jaataa.
Dhanyawad apka pasand karne aur saraahne ke liye.