Lock-down/लॉक-डाउन
लॉक डाउन,मगर कुछ भी नही ठहरा,
ना वक्त,
ना जिंदगी,
और ना ही मौत!
हम भी कहाँ ठहरे,
किसी के कदम चल रहे,
किसी के कलम,
किसी के आँसूं,
और किसी की राजनीत!
यूँ कहें तो
लॉक डाउन है,
मगर जिंदगी पहले से कहीं ज्यादा बेचैन है,
और बेचैन है,
वक़्त,
मौत,
कलम,
पांव,
आँसू
और राजनीति भी पहले से कहीं ज्यादा!
!!!मधुसूदन!!!
बिल्कुल सही कहा आपने 👌👌
पुनः धन्यवाद आपका।
Beautiful poem as always sir
बेहद सुन्दर।
देर से देखने के लिए क्षमा।🙏 धन्यवाद आपका।
स्वागत सर 🙏👍
🙏
सत्य 👌👌👍
पुनः धन्यवाद आपका।
वाह बहुत ही अच्छी है
धन्यवाद आपका सराहने के लिए।