SUKOON/सुकून

सुकून अगर दास होता महलों का,तो गरीबों का चेहरा नही चमकता,सुख गुलाम होता दौलत का,तो कभी गरीब नही हंसता,सदैव होती चिंता की लकीरें उनके चेहरे पर,मगर इनके चहरे पर ना भय,ना चिंता,ना ही गरीबी का दर्द झलकता,सिर पर झूला झूलते बच्चे,बाहों में बदहवास सोती जान,हाथों में कंगन,पैरों में पायल,वह कोई रानी से कम नहीं,ना ही […]

Posted in Hindi Poem, Jiwan DarpanTagged 11 Comments on SUKOON/सुकून