Chaahat
देख हम जा रहे ये वतन छोड़कर,मौत की हमको कोई गिला भी नहीं,
कैसी चाहत हमें थी किसे अब कहें, मौत वैसी हमें तो मिला भी नहीं|
हम तरसते रहे जंग हम भी करें,
गोलियों से कभी बात हम भी करें,
कितनी ताकत है उसको दिखाएं कभी,
मौत का खौफ दिल में जगाएं कभी,
कितना बुजदिल था ओ घात छुपकर किया,
जात अपनी वही फिर दिखा कर गया,
शर्म आती है दुश्मन उसे हम कहें,
छदम का जंग छुपकर जो हम से करे,
शौक था सौ को मारुं अकेले मगर,
सामना बुजदिलों से हुआ भी नहीं,
कैसी चाहत हमें थी किसे अब कहें, मौत वैसी हमें तो मिला भी नहीं|
एक जंग था जिसे याद करते थे हम,
बाजी पेशवा की गुणगान करते थे हम,
सिर्फ सेना थे चालीस,मुग़ल चार हजार,
कैसे मुगलों में बाजी ने की हाहाकार,
जंग जितने हैं वे याद करते सभी,
सामने से नहीं वार करते तभी,
हसरतें थी लड़ूँ पेशवा की तरह,
क्या करें कोई मौका मिला भी नहीं,
हम दिखाते उसे जंग होता है क्या,
एक इशारा कभी भी मिला ही नहीं,
कैसी चाहत हमें थी किसे अब कहें, मौत वैसी हमें तो मिला भी नहीं|
एक पल ना लगा याद सब आ गयी,
माँ, पिता, पुत्र, पत्नी नजर आ गयी,
दर्द है एक कसक दिल दफ़न रह गया,
बिन लड़े मिट रहे ये कसक रह गया,
जाते जाते बिनय है ये माँ भारती,
हर जनम तू मिले मुझको माँ भारती,
ले नमन आखिरी एक बिनय है मेरा,
हर जनम में तू देना ये वर्दी मेरा,
मेरी माँ भारती शौक तू जानती,जल्दी आऊंगा पाने मिला जो नही,
कैसी चाहत हमें अब तुझे कह रहे,मौत वैसी हमें तो मिला भी नहीं|
कैसी चाहत हमें अब तुझे कह रहे,मौत वैसी हमें तो मिला भी नहीं|
!!! मधुसूदन !!!
क्या कहें, सब तो कह दिया शब्दों की माला में। ये कसक हर उसमें भी है जो देश ही देखते हैं। क्या आप सैनिक हैं?
जी नहीं —-मैं सैनिक तो नहीं परंतु तरस आता है —-अपनी आज़ादी पर—-कितने बलिदान के बाद मिली आज़ादी—फिर भी बलिदान जारी है—-आपको पसंद आया –ख़ुशी हुई—-बहुत बहुत धन्यवाद आपको।
धोखा दिया गया भारतीयों को और ये तब पता लगा जब इंदिरा की शादी फीरोजखान से हुई। तब भी लोगों ने कॉग्रेस को वोट क्यों दिया?
आपको जानकर शायद अच्छा लगे कि मेरा घरअंदर से तिरंगा है और बाहर भी तिरंगा चिन्ह है।शायद ये दुनियां का पहला तिरंगा घर है।
सच में जानकर बहुत ख़ुशी हुई—–तिरंगा—-चिन्ह ही नहीं हमारी जान है, इसके बगैर हमारी कहाँ पहचान है।वैसे आपने ठीक ही कहा ऐसा घर शायद पहला ही हो—परंतु हम आशा करेंगे की ऐसे भर और भी हों। आपकी सोच बहित ही उम्दा है—सुक्रिया।
बहुत ही सुंदर👌
धन्यवाद पवन जी —-
बहुत अच्छी कविता.
पसंद आया आपको बहुत बहुत धन्यवाद।
Bahut khub likha hai aapnr sainikon ki wyatha…
Pasand aayaa…….achha lagaa…..dhanyawaad aapka.