AAWO MILKAR DIYA JALAYEN/आओ मिलकर दिया जलाएँ

देखो आया संकट भारी,
जूझ रही है दुनियाँ सारी,
एक अदृश्य रिपु दिल दहलाया,
मानव को ही अस्त्र बनाया,
वक्त विकट,विकराल रिपु,आ संयम अपना हम दिखलाएँ,
विश्व ससंकित,दहशत में जग,आओ मिलकर दिया जलाएँ।
वक़्त नही ये द्वंद्व का नफरत छोड़,
त्याग दिखलाओ प्यारे,
अगर बचे तो फिर लड़ लेंगे,
खुद को अभी बचा लो प्यारे
छोड़ो हठ मत कर मनमानी,
धर्म कहा कब कर शैतानी,
मान जगत,रब एक,एक हम,
आ मिल कह वसुधैव कुटुम्बकम,
कह दे अल्लाह,ईश,गुरु,भगवान एक सबको समझाएँ,
व्यूह कई तोड़े टूटेगा,आओ मिलजुल दिया जलाएँ।
आज जंग चहुँओर मौत से,
बनकर वायु चली विषैली,
समाधान निश्चित निकलेगा,
सोच छोड़ जो मन में मैली,
प्राण-दीप नित बुझता पल-पल,
कैद हुआ मानव खुद घर-घर,
कर्म बुरे कुछ मेरे शायद क्रोधित रब आ उन्हें मनाएँ,
निश्चित दिल पिघलेगा उनका,आओ मिलकर दिया जलाएँ।
निश्चित दिल पिघलेगा उनका,आओ मिलकर दिया जलाएँ।
!!!मधुसूदन!!!

13 Comments

  • Bahut badhiya 👌👌✨❤

    इस दुनिया को सँवारना अपनी चिता रचने जैसा है

    और बचना इस दुनिया से अपनी चिता से बचने जैसा है..

    संभव नहीं है बचना चिता से इसलिए इसे रचो

    और जब मरो तो इस संतोष से कि सँवार चुके हैं हम अपनी चिता !

    ~भवानीप्रसाद मिश्र

    • धन्यवाद भाई। बहुत सुंदर पंक्तियाँ। बिना खोजे ही उपलब्ध कराया।

  • देखो आया संकट भारी,
    जूझ रही है दुनियाँ सारी,
    एक अदृश्य रिपु दिल दहलाया,
    मानव को ही अस्त्र बनाया,
    वक्त विकट,विकराल रिपु,आ संयम अपना हम दिखलाएँ,
    विश्व ससंकित,दहशत में जग,आओ मिलकर दिया जलाएँ।
    वक़्त नही ये द्वंद्व का नफरत छोड़,
    त्याग दिखलाना होगा,
    अगर बचे तो फिर लड़ लेंगे,
    खुद को अभी बचाना होगा,
    हठ छोड़ो मत कर मनमानी,
    धर्म नही करता शैतानी,
    मान जगत,रब एक,एक हम,
    आ मिल कह वसुधैव कुटुम्बकम,
    आ कह अल्लाह,ईश,गुरु,भगवान एक सबको समझाएँ,
    व्यूह कई तोड़े टूटेगा,आओ मिलजुल दिया जलाएँ।
    आज जंग चहुँओर मौत से,
    बनकर वायु चली विषैली,
    समाधान निश्चित निकलेगा,
    सोच छोड़ जो मन में मैली,
    प्राण-दीप नित बुझता पल-पल,
    कैद हुआ मानव खुद घर-घर,
    कर्म बुरे कुछ मेरे क्रोधित रब शायद आ उन्हें मनाएँ,
    निश्चित दिल पिघलेगा उनका,आओ मिलकर दिया जलाएँ।
    निश्चित दिल पिघलेगा उनका,आओ मिलकर दिया जलाएँ।
    !!!मधुसूदन!!!

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