ANKAHA PREM/अनकहा प्रेम 2
एक पवन का झोंका आया,
जिसने मेरा मन भरमाया,
पल दो पल का मेल पता ना,जीवन का कब सार हुआ,
पता नही कब दिल खो बैठे,पता नही कब प्यार हुआ।
मैं राही अनजान डगर था,
अनजाना एक साथ सफर था,
मंजिल से बेखबर चले पग,
थकन कहाँ हर कदम जशन था,
जब रोते वे हम रो जाते,
वे हँसते तो हम मुस्काते,
पता नही कब हँसी,ठिठोली,जीवन का आधार हुआ,
पता नही कब दिल खो बैठे,पता नही कब प्यार हुआ।
माना मैं अनजान प्रेम से,
वे हमसे अनजान नही,
उन्हें पता बिन उनके मेरी,
गुजरे कोई शाम नही,
जब जाना वे कौन हमारे,
कह डाली क्या ख्वाब हमारे,
उनका गम,संताप मांग ली,
जीवनभर का साथ मांग ली,
साथ मांग ली जिनसे चुप वे,छोड़ गए कई साल हुआ,
पता नही क्यों दिल खो बैठे,पता नही क्यों प्यार हुआ।
!!!मधुसूदन!!!
बहुत खूब।
Dhanyawad apka.🙏
Beautiful poem
धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।
How Beautiful
Very deeep feelings of incredible love❣
Bahut bahut dhanyawad apka pasand karne ke liye.
Dil chu Lene wali Kavita.
Dhanyawad apka sarahne ke liye.
अनकहा ही रह गया क्या कोरे कागज की तरह।बेहद सुन्दर रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Most welcome.
क़ाश ये पल जल्द गुज़रे ,
छटे चांदनी रात , सूर्य पुनः निकले ;
एक-एक क्षण अब अर्सो-सा लगता ,
चंद महीनों का साथ जन्मों-का लगता ;
पूरी कविता अगले महीने😍😍🙌😘
बहुत बढ़िया मस्त ददा ✨❤
बढ़िया है। इंतजार रहेगा।
bahut khoob. halki kavita, gehra pyaar, jisko apne diya satkar.
बढ़िया तुकबन्दी। धन्यवाद आपका।
एक पवन का झोंका आया,
जिसने मेरा मन भरमाया,
पल दो पल का मेल पता ना,जीवन का कब सार हुआ,
पता नही कब दिल खो बैठे,पता नही कब प्यार हुआ।
मैं राही अनजान डगर था,
अनजाना एक साथ सफर था,
मंजिल से बेखबर चले पग,
थकन कहाँ हर कदम जशन था,
जब रोते वे हम रो जाते,
वे हँसते तो हम मुस्काते,
पता नही कब हँसी,ठिठोली,जीवन का आधार हुआ,
पता नही कब दिल खो बैठे,पता नही कब प्यार हुआ।
माना मैं अनजान प्रेम से,
वे हमसे अनजान नही,
उन्हें पता बिन उनके मेरी,
गुजरे कोई शाम नही,
जब जाना वे कौन हमारे,
कह डाली क्या ख्वाब हमारे,
उनका गम,संताप मांग ली,
जीवनभर का साथ मांग ली,
साथ मांग ली जिनसे चुप वे,छोड़ गए कई साल हुआ,
पता नही क्यों दिल खो बैठे,पता नही क्यों प्यार हुआ।
!!!मधुसूदन!!!