Apnapan/अपनापन
संसार की सभी भाषाएँ अनमोल और रसभरे हैं, जिसका महत्व वही जान सकते हैं जो उसे बोल और समझ पाते हैं।अगर मैं अपनी बात करूँ तो रोटी हमे अंग्रेजी से आती है और हिन्दी मुझे अपनापन का आभास दिलाती है।
दुश्मन भी बोले बोल,अकड़कर हिंदी में,
अपना सा लगता है,
गर अपने बोले बोल,चहककर परदेशी,
पराया लगता है।
जब छूते हैं हम पैर किसी की,
होती सिर पर हाथ,
जब दुआ निकलती मुख से,
टकराती आंखों से आंख,
आशीष भरे जब शब्द निकलते हिंदी में,
अपना सा लगता है,
गर अपने बोले बोल,चहककर परदेशी,
पराया लगता है।
!!!मधुसदन!!!
sansaar kee sabhee bhaashaen anamol aur rasbhare hain, jisaka mahatva vahee jaan sakate hain jo use bol aur samajh paate hain.agar main apanee baat karoon to roti hame angreji se aati hai aur hindi mujhe apanaapan ka aabhaas dilaatee hai.
dushman bhee bole bol,akadakar hindi mein,
apana sa lagata hai,
gar apane bole bol,chahakakar paradeshee,
paraaya lagata hai.
jab chhoote hain ham pair kisee kee,
hotee sir par haath,
jab dua nikalatee mukh se,
takaraatee aankhon se aankh,
aasheesh bhare jab shabd nikalate hindi mein,
apana sa lagata hai,
gar apane bole bol,chahakakar paradeshee,
paraaya lagata hai.
!!!madhusudan!!!
बहुत खुबसूरत रचना
Dhanyawad bhayee
बहुत ठीक कहा आपने
धन्यवाद आपका।
really very good thought sir
Thank you very much….
बहुत अच्छा लिखा ….वाकई मै जो अपनापन हमारी भाषा मे लगता है वो और किसी भाषा मे नही लगता है …ऐसे अब काफी हिन्दी शब्द ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी मे भी शामिल हो रहे है ।
धन्यवाद अपनी भाषा को गौरव देने के साथ साथ अपनापन दर्शाने के लिए।
lovely, awesome.
Thank you very much..
बहुत खूब।
dhanyawad apka.
वह क्या खूब बात कही हैँ . उम्दा .
dhanyawad apka apne pasand kiya aur saraha.
👌👍
Beautiful worded
sukriya apka…..