Beti Ki Sagayee (Part-4)
एक डाल पर गुलशन में दो कलियाँ है मुश्कायी,
बधाई हो बधाई दोनों की है आज सगाई।
माँ की ममता,बाप की खुशियां,
दरवाजे को चूम रही,
दादा-दादी मगन ब्याह को,
खुशियाँ घर मे गूंज रही,
सखियों के बीच घिरी लाडली,
कुछ शर्माती,मुस्काती,
कब आएगी मधुर घड़ी,
सब आंखें उसकी बतलाती,
दुनियाँ का ये खेल अनोखा,
रब ने खूब बनाई हैं,
जिन कलियों को खून से सींचा,
होती फूल परायी है,
मगर बेखबर इन बातों से,
मात-पिता,भाई,बहना,
चले सगाई रश्म निभाने,
छोड़ के अपना घर,अंगना,
दो दुनियाँ की मेल की पहली घड़ी आज है आई,
बधाई हो बधाई दोनों की है आज सगाई।8।
पिता-पुत्र मिल दौड़ रहे हैं,
कमी ना कुछ भी रह जाए,
फूल सी बिटिया के आँखों मे,
गम के अश्क न आ जाये,
देनेवाला आज भिखारी,
भिखमंगा है शेर बना,
कुलदीपक जिससे हो उस
बिटिया का कैसा खेल बना,
मंच सजी थी कुर्सी चार,
बिटिया से शोभा संसार,
बिटिया के आते ही रौनक,
मंच पर देखो आई,
जीवनसाथी देखकर दोनों,मन ही मन हरसाई,
बधाई हो बधाई आज पूरी हुई सगाई।9।
!!!Madhusudan!!!
मन के हर एक भाव की अभिव्यक्ति की है आपने…अतिउत्तम्
Sukriya apka pasand karne ke liye
Amazing… Bahut umda bhav ek uttam rachna ke sath
Sukriya aapka pasand karne aur saraahne ke liye.
Mast 👍🏻👍🏻
Thanks…