बाबुल की प्यारी,माँ की दुलारी,भैया की जान,बहन की जो आली,
आली वो दामन छुड़ाने चली,नैहर से अब दूर जाने लगी।
फूलों सी कोमल,खुशबू भरी थी,
बाबुल के आंगन की जो कली थी,
गुल वो कहीं घर बसाने चली,नैहर से अब दूर जाने लगी।
कुछ पल हुए जो जिद पर अड़ी थी,
सजने,संवरने की जिसको पड़ी थी,
खुश थी अचानक हँसी खो गई क्यों,
अश्कों की दरिया नयन भर गई क्यों,
हुई मौन दुविधा में जैसे पड़ी,नैहर से अब दूर जाने लगी।
सच है कि नैहर से जाती है बिटिया,
ससुराल को घर बनाती है बिटिया,
मगर है बसी जिस जगह बचपना उस
नैहर को कब भूल पाती है बिटिया,
कैसी घड़ी भीड़ अपनों का मेला,
फिर भी अकेली थी कैसी ये बेला,
भाई गरजता,जशन में उदासी,
माई तड़पती है फटती है छाती,
कोई कड़कपन को खोने लगा है,
बेटी का गम बाप रोने लगा है,
रोती फफक खुद,रुलाने लगी,
नैहर से अब दूर जाने लगी,नैहर से अब दूर जाने लगी।
!!!मधुसूदन!!!

aruna3 says
बेहद जज़्बाती नज़्म है।
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका इतनी सारी खूबसूरत प्रतिक्रिया से हमारी कविता एवम हमे हौसला बढ़ाने के लिए।
aruna3 says
Most welcome🌷
ShankySalty says
दर्दनाक है क्योंकि यह हकीकत है🙏
myexpressionofthoughtsblog says
Beautiful lines on betiyaan. Different phases and changes in life and how well a girl manages to face everything.