Bewfa

क्या बात है…?क्या हुआ…?
आज ऐसे क्यों देख रहे हो,
इतने उदास क्यों हो–?
वे सामने बैठे,
हमसे सवाल करते रहे,
हम मौन अपलक उन्हें,
देखते रहे,
दिल में हजारों सवाल,
सुनामी की तरह सबकुछ,
बहा ले जाने को तत्त्पर,
जिसे मुश्किल से रोक हम,
अंदर ही अंदर सिसकते रहे,
कितना यकीन था इनपर,
क्यों बेवफा निकले,
मुश्कान बिखेरती अब भी,
लुभाने का झूठा प्रयास करते,
वो समझते मैं नादान,
उनकी फरेब से अनजान था,
उनको क्या पता,
जिस नौका विहार में,
कल निकली थी,
उस नौके का मैं हीं खेवनहार था,
दिल तो किया की सब्र की सारी,
बाँधें तोड़ दूँ,
मुश्कान तले छिपे उनकी,
सभी राज खोल दूँ,
मगर मजबूर दिल ने,
मेरी जुबान बंद कर दी,
अपनी चाहत में,
उनकी लाज रख ली,
दिल ने कहा अनजान हैं,
उन्हें अनजान ही रहने दो,
मासूम सी चेहरे पर,
मुश्कान रहने दो,
प्रेम कब तड़पाया है,
किसी को संसार में,
नशे में हैं स्वार्थ के,
अरमान उनके सजने दो।

!!!मधुसूदन!!!

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