CORONA/कोरोना
घर में आग लगी,बाहर कोरोना खड़ी,
बेबस घर का मुखिया,व्याकुल जन अपार,
हाय!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार।
संकट की घड़ी में नियम नही चलते,
हर कदम पन्नो को देख नही बढ़ते,
संयमित रहना फर्ज बन जाता है,
पिता खाली हाथ लौटे काम से,
बेटा भूखे सो जाता है,
सो जाती है पत्नी भूखी,
कोई आरोप नही लगाती,
जिस्म होता स्थिर मगर आंखों में
नींद नही आती,
नींद कहाँ मुखिया को,खड़ी मौत मुँह पसार,
हाय!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार।
इस आपदा की घड़ी में मदद को
कई हाथ आगे आए हैं,
धर्मस्थल,उद्योगपति,
कई स्वयंसेवी संस्था कदम बढ़ाए हैं,
मजबूर कम नही हैं,
छोड़ दो आलोचना करना,
कुछ तो इंसानियत जिंदा छोड़ो,
क्या कर सकते हो,अपना मुँह तो खोलो,
बचेंगे तो फिर लड़ेंगे,देख बहते आंसुओं के धार,
हाय!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार,
छि-छि!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार।
!!!मधुसूदन!!!
असमंजस सा माहौल।यथार्थ चित्रण।
पुनः धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।
Too good….
Thanks.🙏
Scary it is – please stay safe and healthy
Absolutely…..You should also be alert and careful…thanks.
True my friend. Stay safe
बड़ा सही चित्रण किया है आज के विषम परिस्थिति का.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
Nice
धन्यवाद।
घर में आग लगी,बाहर कोरोना खड़ी,
बेबस घर का मुखिया,व्याकुल जन अपार,
हाय!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार।
संकट की घड़ी में नियम नही चलते,
हर कदम पन्नो को देख नही बढ़ते,
संयमित रहना फर्ज बन जाता है,
पिता खाली हाथ लौटे काम से,
बेटा भूखे सो जाता है,
सो जाती है पत्नी भूखी,
कोई आरोप नही लगाती,
जिस्म होता स्थिर मगर आंखों में
नींद नही आती,
नींद कहाँ मुखिया को,खड़ी मौत मुँह पसार,
हाय!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार।
इस आपदा की घड़ी में मदद को
कई हाथ आगे आए हैं,
धर्मस्थल,उद्योगपति,
कई स्वयंसेवी संस्था कदम बढ़ाए हैं,
मजबूर कम नही हैं,
छोड़ दो आलोचना करना,
कुछ तो इंसानियत जिंदा छोड़ो,
क्या कर सकते हो,अपना मुँह तो खोलो,
बचेंगे तो फिर लड़ेंगे,देख बहते आंसुओं के धार,
हाय!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार,
छि-छि!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार।
!!!मधुसूदन!!!