Politics/राजनीत

मेरे हर समस्याओं का निदान है पास तेरे,परंतु मैं समस्याएं गिनाऊँ ये तुम्हें पसंद नही,मेरे कुछ भी लिखने,बोलने,पूछने,गाने से,हिल जाता है तख्त तेरा,हम कुछ भी बोलें,लिखें, गाएं,ये तुम्हें पसंद नही।मैं मूक रहूं और भूखा मरूं,या करूं सवाल और हवालात पाऊं ?ऐसे कब तक करूं तेरे खोखले वादों का यशोगान ?टूटता समाज और गौरवान्वित तुम,अपनी स्वार्थ […]

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Qaidi/कैदी

ऊँची चाहरदीवारी,जड़े ताले किवाड़जहाँ पग-पग खड़े पहरेदार देखते हैं,कैदी हूँ,कैद से निकलना है मुश्किल,झरोखे से खुला आसमान देखते हैं।चुनकर जिसे मन ही मन हमने ऐंठा,सच है वही तख्त पर आज बैठा,फिर क्यों हम खुद को बेहाल देखते हैं,कैदी हूँ,कैद से निकलना है मुश्किल,झरोखे से खुला आसमान देखते हैं।महंगी बढ़ी घर में रोती है सजनी,उजड़ा व्यापार […]

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Achraj mat karna/अचरज मत करना

अभी मरघट में जगह शेष,वे उपलब्धियाँ गिनाने लगे,हम घरों में कैद कोरोना से लड़ें या भूख से,या सड़कों पर करें मौत से जद्दोजहद,उन्हें क्या,वे अब राजनीत अपना चमकाने लगे।कोरोना का नित्य बढ़ता ग्राफ,बुझते दीपक,सिकुड़ते बेड,वीरान होते घर!और होती सिर्फ राजनीत!ऐसा नही कि समाजसेवियों का अकाल हो गया,ऐसा भी नही की राजनीति में सिर्फ,चोर,डकैत,बलात्कारियों का ही […]

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CORONA/कोरोना

घर में आग लगी,बाहर कोरोना खड़ी,बेबस घर का मुखिया,व्याकुल जन अपार,हाय!इस वक़्त भी राजनीति!जब मची है चीख,पुकार।संकट की घड़ी में नियम नही चलते,हर कदम पन्नो को देख नही बढ़ते,संयमित रहना फर्ज बन जाता है,पिता खाली हाथ लौटे काम से,बेटा भूखे सो जाता है,सो जाती है पत्नी भूखी,कोई आरोप नही लगाती,जिस्म होता स्थिर मगर आंखों मेंनींद […]

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