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लोग कहते हैं
खून का रिस्ता सभी रिश्तों से गाढ़ा होता है
मगर कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं
जो खून से नहीं बने होते
फिर भी उनकी घनिष्ठता,अपनत्व और त्याग
खून के रिश्तों से तनिक भी कम नहीं।
ऐसे ही रिश्तों में से एक रिश्ता है
गुरु और शिष्य का।
गुरु अपना सर्वश्व भूल शिष्य को
चरम पर पहुंचाने के लिए
कुछ भी कर जाता है
तो शिष्य
चरम पर पहुँचने के बाद भी
गुरु को देख उनके पैरों पर गिर जाता है।
उसके दिल की अनुभूति को
शब्दों में बयाँ करना आसान नहीं
फिर भी,एक तरफ
जहाँ गुरु के त्याग के किस्से
किताबों में भरे पड़े हैं
तो दूसरी ओर
शिष्य के समर्पण और त्याग की कहानियाँ
दिल को झकझोर देती है।
सौभाग्यशाली है वे लोग जिन्हें अपने जीवन में,
ऐसे प्रेम करनेवाले गुरु या शिष्य का,
सानिध्य मिला हो।
मैं भी एक शिष्य के रूप में अपने गुरु को शत-शत नमन करता हूँ|
!!!मधुसूदन!!!
उन्हीं कहानियों में से एक है गुरुभक्त आरुणि की कहानी:—-Click here
Shantanu Baruah says
Ati sundar
Madhusudan Singh says
Dhanyawad apka.
Shantanu Baruah says
😊🌸
ARVIND MAURYA says
नमस्कार भैया जी।
सधे शब्दो में पूरी कसावट के साथ गागर में सागर भर दिया आपने। बहुत ही सुंदर।
भैया जी आप की वेबसाइट क्यों खुलती नही है। बहुत बार प्रयास किया लेकिन खुलती ही नही है।
Madhusudan Singh says
बहुत बहुत धन्यवाद आपका अपने पसंद किया और सराहा।साथ ही वेबसाइट सुधारने का प्रयास करेंगे।
Rupali says
Satya kathan.
Madhusudan Singh says
Sukriya apkaa.
ShankySalty says
चंद पंक्तियों में ही आपने सब कुछ कह दिया है सर।🙏😊
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपने पसन्द किया और सराहा।
Girija Arora says
श्रद्धा से ओत प्रोत
Madhusudan Singh says
सहृदय धन्यवाद।
Abhay says
Guru ji, mera namskar sweekar karen!
Madhusudan Singh says
🙏🙏🙏👏👏…
Anonymous says
सादर प्रणाम
Madhusudan Singh says
🙏🙏🙏