HOLI AAYEE/होली आई
रंगों का त्योहार आया,रंगों का त्योहार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
रंग कई हर एक का मन
कुछ अलग ही सपने बोये से,
कोई है चुपचाप झरोखे पर यादों में खोए से,
किसी की भरी हुई पिचकारी,
किसी की गालों पर है लाली,
रंग न जाने जाति-मजहब,नफरत की दीवार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
कुछ पर चढ़ गए रंग प्रेम का,
कुछ पर रंग इबादत का,
कुछ ने रंग ली तन केसरिया,
कहते रंग शहादत का,
प्रकृति में नव यौवन आई,
मंजर,नव कोपल उग आई,
धरती पीले रंग में रंग गई,खुशबू की बौछार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
वृंदावन में कृष्ण-राधिका,
अवध में सीता-राम,
गिरिजा संग शिवशंकर होली
खेले काशिधाम,
मस्त मगन भूतों की टोली,
भांग की खा-खाकर सब गोली,
मस्त नगर,घर,गांव,डगर सब मस्ती अपरम्पार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
इन मस्ती के पल में भी
कुछ हैं जो नीर बहाते हैं,
अपनो के खोने का गम वे
उनको भूल न पाते हैं,
कुछ के अपने दूर बसे हैं,
आना था मजबूर खड़े हैं,
इंतजार आँखों में,सपने मन में सजे हजार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
“आप सभी को बुराई पर अच्छाई की जीत का महापर्व होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ।”
!!!मधुसूदन!!!


बहुत सुन्दर त्योहार पर खूबसूरत तोहफा है आपकी कविता।
Dhanyawad apka pasand karne ke liye.
Most welcome🌷
बहुत ही सुंदर, सर जी!!
बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
मद-मस्त कर दिया आपकी पंक्तियों ने हर बार कि तरह
खुशी होती है जब कोई रचना पसन्द करता है।
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
सुंदर… जीवन के हर रंग का व्यख्यान है इन पंक्तियों में
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
खूबसूरत रचना आदरणीय
होली की हार्दिक शुभकामनाऐं आपको
धन्यवाद भाई।
रंगों का त्योहार आया,रंगों का त्योहार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
रंग कई हर एक का मन
कुछ अलग ही सपने बोये से,
कोई है चुपचाप झरोखे पर यादों में खोए से,
किसी की भरी हुई पिचकारी,
किसी की गालों पर है लाली,
रंग न जाने जाति-मजहब,नफरत की दीवार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
कुछ पर चढ़ गए रंग प्रेम का,
कुछ पर रंग इबादत का,
कुछ ने रंग ली तन केसरिया,
कहते रंग शहादत का,
प्रकृति में नव यौवन आई,
मंजर,नव कोपल उग आई,
धरती पीले रंग में रंग गई,खुशबू की बौछार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
वृंदावन में कृष्ण-राधिका,
अवध में सीता-राम,
गिरिजा संग शिवशंकर होली
खेले काशिधाम,
मस्त मगन भूतों की टोली,
भांग की खा-खाकर सब गोली,
मस्त नगर,घर,गांव,डगर सब मस्ती अपरम्पार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
इन मस्ती के पल में भी
कुछ हैं जो नीर बहाते हैं,
अपनो के खोने का गम वे
उनको भूल न पाते हैं,
कुछ के अपने दूर बसे हैं,
आना था मजबूर खड़े हैं,
इंतजार आँखों में,सपने मन में सजे हजार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी,
अलग अलग रंगों में देखो डूब गया संसार जी।
“आप सभी को बुराई पर अच्छाई की जीत का महापर्व होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ।”
!!!मधुसूदन!!!