JIWAN EK SAFAR/जीवन एक सफर

Image Credit : Google

जीवन एक सफर,

कहीं गमों के गड्ढे,

कहीं खुशियों की डगर,

सुख-दुख,उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी,

मगर चिंतित कहाँ वो,जिसकी मंजिल पर नजर।

ऐ मन मत हो उदास,हमें भी मुस्काने दे,

माना टूटे हैं सपने,नए सपने सजाने दे,

यहीं तो मिला था,जो खो गया,

और भी है खुशियाँ राहों में,

क्यों इतना तूँ रो रहा,

आ भूल कल की बातें,नई दुनियाँ बना लें,

उम्र काटने से बेहतर,हँसकर जिंदगी बिता लें,

ये जीवन खुशी संग गमों का भी घर,

आज है शाम कल होगी सहर,

कब रुका निमेष,शशि

या दिनकर,

मत रुक तुम भी,

बढ़ता चल,

चाहे सुगम हो सेतु,

या उफनती नद-लहर,

है ये जीवन एक सफर,है ये जीवन एक सफर।

!!!मधुसूदन!!!

29 Comments

    • सुक्रिया आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।

  • दो रोज़ तुम मेरे पास रहो.. दो रोज़ मैं तुम्हारे पास रहुं.. चार दिन की ज़िन्दगी है.. ना तुम उदास रहो.. ना मैं उदास रहुं…..— unknown

    • वाह क्या बात है। चुन चुन कर बेहतरीन पंक्तियाँ ला रहे हैं।

      चार दिन की जिंदगी,
      प्यार से गुजार दूँ,
      तुम मेरे हंसी बने
      मैं तुम पर जान निसार दूँ।

  • बेहद खूबसूरत रचना 👌👌❤🌻😊😊

    बढ़ता चल,
    चाहे सुगम हो सेतु,
    या उफनती नद-लहर,
    है ये जीवन एक सफर

    • ये आपकी रचना पढ़कर हक लिखा था। धन्यवाद पसन्द करने के लिए।

    • ये आपकी रचना पढ़कर ही लिखा था। धन्यवाद पसन्द करने के लिए।

  • है ये जीवन एक सफर अब कोई इसे ख़ुशी से जिए या या मज़बूरी वश बिताये यह पूर्णतः व्यक्ति पर ही निर्भर करता है !जीवन से ओतप्रोत इस इस अभिप्रेरणदायी रचना के लिए धन्यावाद !

  • जीवन की सही व्याख्या।उतार चढ़ाव और ढेरो रंग हैजीवन के सफ़र के .

    • सुक्रिया आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।

    • आपकी रचनाओं पर लाईक और कमेंट्स नही हो रहा है भाई जी।

      • भाई साहब ना जाने कौन गुगल सर्च में इतना पढ़ रहा है पिछले दो वर्षों से कि मैं विचलित हो जा रहा हूं बीस तीस बार दिन में एक ही कविताएं रोज रिपीट कर रहा है आप को भी पता है मैंने बार बार लिख कर टोका है बस इसी लिए मुझे प्राइवेट ली अपनाना पड़ा है जी

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