KEWAL SIYASAT/केवल सियासत
जहाँ भी देखा वहीँ सियासत,
तख्त,ताज में उलझे शासक,
इनका कब ईश्वर से नाता,
इनको सिर्फ सियासत भाता,
मजहब-मजहब से लड़वाते,
जाति-जाति में भेद कराते,
कोई रंग हरा लहराता,
कोई केसरिया दिखलाता,
सबको केवल अस्त्र समझते,
हम रोते जब, तब ये हँसते,
इनके कब थे नेक इरादे,
हम तो थे पहले से प्यादे,
ढोंग है अल्लाह,ईश इबादत,
इनका केवल धर्म सियासत|
!!! मधुसूदन !!!
बहुत सार्थक रचना।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सराहने के लिए।🙏
😊
सच्चाई पर आधारित बेहतरीन रचना 👌👌👌
Bahut Bahut Dhanyawad.
Bahut Bahut Dhanyawad apka.
Katu satya! Behatareen rachna.
Sarahne ke liye dhanyawad apka.
बहुत ही सुंदर और सटीक कविता आज के हालात पे।
बेहतरीन अंकल ✨❤🤗
बहुत देर हो गई देख नही पाया। बहुत बहुत धन्यवाद आपका सराहने के लिए।🙏
सटीक,,, बात
सियासत ही सियासत है
इन्हें सिर्फ राजनीति से ही मतलब है,, व्यवसायिक परिवर्तन में लोग खड़े,, कोई भगवान,,, कोई अल्लाह को कहते बड़े,,, लेखक दर्पण है,,, बहुत सुंदर भाई साहब
बहुत देर हो गई देख नही पाया। बहुत बहुत धन्यवाद आपका सराहने के लिए।🙏
कोई बात नही भाई साहब,, 🙏 शुभ रात्रि
उम्दा रचना।
पसन्द करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।