जहाँ भी देखा वहीँ सियासत,
तख्त,ताज में उलझे शासक,
इनका कब ईश्वर से नाता,
इनको सिर्फ सियासत भाता,
मजहब-मजहब से लड़वाते,
जाति-जाति में भेद कराते,
कोई रंग हरा लहराता,
कोई केसरिया दिखलाता,
सबको केवल अस्त्र समझते,
हम रोते जब, तब ये हँसते,
इनके कब थे नेक इरादे,
हम तो थे पहले से प्यादे,
ढोंग है अल्लाह,ईश इबादत,
इनका केवल धर्म सियासत|
!!! मधुसूदन !!!
AnuRag says
सच्चाई पर आधारित बेहतरीन रचना 👌👌👌
Madhusudan Singh says
Bahut Bahut Dhanyawad.
Madhusudan Singh says
Bahut Bahut Dhanyawad apka.
Rupali says
Katu satya! Behatareen rachna.
Madhusudan Singh says
Sarahne ke liye dhanyawad apka.
ShankySalty says
बहुत ही सुंदर और सटीक कविता आज के हालात पे।
बेहतरीन अंकल ✨❤🤗
Nageshwar singh says
सटीक,,, बात
सियासत ही सियासत है
इन्हें सिर्फ राजनीति से ही मतलब है,, व्यवसायिक परिवर्तन में लोग खड़े,, कोई भगवान,,, कोई अल्लाह को कहते बड़े,,, लेखक दर्पण है,,, बहुत सुंदर भाई साहब
soniritu470 says
उम्दा रचना।
Madhusudan Singh says
पसन्द करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।