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एक किस्सा है सुनाऊँ क्या?
प्रेम हमने भी किया,
छुपाऊँ क्या।
शुरुआत कहाँ से करूँ,
उन मस्ती के पलों से या तन्हाई से,
वफ़ा या उनकी बेवफाई से,
आखिर जन्नते इश्क में वो शाम आई,
उठते बवंडर को थामना मुश्किल,
लबों पर दिल की जज्बात आई,
वे नित्य की भांति
उस दिन भी सम्मुख आए थे,
नजरें मिली,वैसे ही मुस्कुराए थे,
मगर उस दिन हालात कुछ बदले थे,
उन्होंने भी शायद जज्बात को समझे थे,
धड़कता दिल बरसने को बेकरार था,
उन्हें भी शायद इस पल का
लम्हों से इंतजार था,
“तुमसे मुहब्बत है”
होठ एकाएक बुदबुदाए थे,
प्रेम ऐसे ही होता है उन्होंने भी कहा
और मुस्कुराए थे,
जुबाँ से निकले चंद शब्दों ने मानो
जिस्म में नई जान डाल दी,
हार गई खामोशी,
धरा ने आसमान थाम ली,
यूँ तो खुशियाँ पहले भी थी बहुत मगर,
नजरों से नजरों का,अधरों से अधरों का,
सपनों से सपनों का मिलन,
संग
दो अस्तित्वों का घुल,
एक दूसरे में मिल जाने की खुशी कैसी,
बताऊँ क्या?
प्रेम हमने भी किया,
छुपाऊँ क्या।
!!!मधुसूदन!!!
aruna3 says
बेहद खूबसूरत…
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपका पसन्द करने के लिए।
Rekha Sahay says
इजहार-ए-इश्क़ ….इसका अंत सुखद हुआ या नहीं?
Madhusudan Singh says
वो पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। अंत हो चुका है।😐
Shantanu Baruah says
All the parts so amazingly written
Madhusudan Singh says
Bahut bahut dhanyawad apka pasand karne ke liye.
Shantanu Baruah says
My pleasure always
shubha Mishra says
वाह, बहुत सुंदर अभव्यक्ति ।
Madhusudan Singh says
Dhanyawad apka pasand karne ke liye.
Ravindra Kumar Karnani says
Madhusudan ji, Nimish ji kripaya dhyaan dewen, it is important. I saw comments by one Shravan seeking translation of a poem into English. I am writing to him direct, but wish to seek guidance from you people:
The poem he is seeking to get translated is PENNED BY ME and NOT by Jashodaben as claimed. Itis there on my Blog. What should be my action?
Ravindra Kumar Karnani says
Please visit this link:
https://rkkblog1951.wordpress.com/2018/09/12/मैं-फिर-भी-मुस्कुराती-ज़िन/
Madhusudan Singh says
मैंने आपकी कविता पढ़ी। बहुत ही प्यारी है। कृपया sharwan420 ka लिंक दीजिए। ताकि हम भी पढ़ सकें। आखिर वे क्यों आपकी कविता बिना आपकी अनुमति के पोस्ट किए हैं।
Nimish says
रविंद्र दादा की कविता को माननीय ४२० गुरु …मोदी जी द्वारा रचित जसोदा बेन उनकी पत्नी के लिए लिखा बता रहे …
एक तो यह झूठा एजेंडा है मोदी और उनकी पत्नी का
दूसरा कविता दादा द्वारा लिखित है
तीसरा आप कविता चोरी कर के लेखक से पूछ रहे तुम कौन
कविता चोरी होती सच है …बड़े बड़े साहित्यकारों की हो गयी …. खैर इक्कीस वर्ष का हु जब सरस्वती माँ लिखवाती जो लिख देते …कविता लिखने से जीवन में सकारात्मकता आई है …..जब अपनी कविता पर acche अच्छे कमैंट्स पढता तो दिल खुस होता …माँ पढ़ती to वह भी खुस होती …. मन को शान्ति मिलती …
एक बार कविता चोर का धब्बा लग गया तो कैसे मिटाओगे गुरु हाहाहा … सत्तर वर्ष की उतकृष्ट अभिव्यक्ति की कविता का व्यापार कर लो उधर चित्रगुप्त कलम घिस रहा ….