KISSA YA PREM/किस्सा या प्रेम!
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एक किस्सा है सुनाऊँ क्या?
प्रेम हमने भी किया,
छुपाऊँ क्या।
शुरुआत कहाँ से करूँ,
उन मस्ती के पलों से या तन्हाई से,
वफ़ा या उनकी बेवफाई से,
याद है अब भी वो दिन,
जब नित्य उनकी तस्वीर बनाते,
कागजों पर लिखते नाम और मिटाते,
वो घँटों का इंतजार,कहाँ था खुद पर इख्तियार,
अब चुप ना रहेंगे,
जो कहना है, कह कर रहेंगे,
मन में उभरते अनगिनत भाव,
कहाँ थी तब खबर की धूप है या छाँव,
मगर पास आते ही घबराना,धड़कनों का बढ़ जाना,
शब्दों से भरे दिल का शब्द विहीन हो जाना,
आँखें झुकती,लब खामोश,
एकदम स्थिर तलाब सा तन,
बवंडर लिए समंदर सा मन,
कैसी हलचल,उहापोह थी तब,
सुनाऊँ क्या?
प्रेम हमने भी किया,
छुपाऊँ क्या।
!!!मधुसूदन!!!
वाह वाह ये अहसास ही कुछ अलग होता है…👌👌
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
Hello
Sir how are you?
I was sick for a long time. Health is improving now. Thank you very much for taking care of me. isi ko apnapan kahte hain.
Wish you a speedy recovery sir..
🙏🙏