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एक किस्सा है सुनाऊँ क्या?
प्रेम हमने भी किया,
छुपाऊँ क्या।
शुरुआत कहाँ से करूँ,
उन मस्ती के पलों से या तन्हाई से,
वफ़ा या उनकी बेवफाई से,
याद है अब भी वो दिन,
जब नित्य उनकी तस्वीर बनाते,
कागजों पर लिखते नाम और मिटाते,
वो घँटों का इंतजार,कहाँ था खुद पर इख्तियार,
अब चुप ना रहेंगे,
जो कहना है, कह कर रहेंगे,
मन में उभरते अनगिनत भाव,
कहाँ थी तब खबर की धूप है या छाँव,
मगर पास आते ही घबराना,धड़कनों का बढ़ जाना,
शब्दों से भरे दिल का शब्द विहीन हो जाना,
आँखें झुकती,लब खामोश,
एकदम स्थिर तलाब सा तन,
बवंडर लिए समंदर सा मन,
कैसी हलचल,उहापोह थी तब,
सुनाऊँ क्या?
प्रेम हमने भी किया,
छुपाऊँ क्या।
!!!मधुसूदन!!!
Shree says
वाह वाह ये अहसास ही कुछ अलग होता है…👌👌
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
myexpressionofthoughtsblog says
Hello
Sir how are you?
Madhusudan Singh says
I was sick for a long time. Health is improving now. Thank you very much for taking care of me. isi ko apnapan kahte hain.
myexpressionofthoughtsblog says
Wish you a speedy recovery sir..
Madhusudan Singh says
🙏🙏