LACHAARI/लाचारी
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वाह रे तेरे वादे निर्धनता समझे लाचारी
पान खिला फाँसी की कैसी खूब किया तैयारी।
सदियों से झांसे में आकर हम पीछे पछताए हैं,
लोभ में तेरे आकर हमनें खून के अश्क बहाए हैं,
छले गए हम सदियों से सब समझ रहे मक्कारी,
पान खिला फाँसी की तूने खूब किया तैयारी।
हम भूखे मर जाएँ बेशक निर्धन हैं गद्दार नहीं,
वतन से जो खिलवाड़ करे है मुझको वो स्वीकार नहीं,
देशद्रोह कानून सख्त हो,दुश्मन के अरमान पस्त हो,
राष्ट्रविरोधी ध्वज-बोल जँह,सेना का अधिकार सख्त हो,
तूने कैसा ख्वाब सजाया,किस भारत का आस लगाया,
समझ रहे सब नियत तेरी ऐ शातिर व्यापारी,
पान खिला फाँसी की कैसी खूब किया तैयारी।
हम निर्धन पल-पल मरते हैं,सरहद पर हैं लाल हमारे,
मष्तक है कश्मीर वतन का किसने देखा घाव हमारे,
समझ रहे रोटी की कीमत निर्धन हैं गद्दार नहीं,
राष्ट्रद्रोहियों पर नरमी मिट जाएँ पर स्वीकार नहीं,
नहीं चाहिए भीख तुम्हारी,कैसे बन बैठे व्यापारी,
नामुमकिन टूट जाना तेरी समझ रहे मक्कारी,
पान खिला फाँसी की तूने खूब किया तैयारी,
पान खिला फाँसी की तूने खूब किया तैयारी।
!!!मधुसूदन!!!
paan khila phaansee kee toone khoob kiya taiyaaree.
sadiyon se jhaanse mein aakar ham peechhe pachhatae hain,
lobh mein tere aakar hamanen khoon ke ashk bahae hain,
chhale gae ham sadiyon se sab samajh rahe makkaaree,
paan khila phaansee kee toone khoob kiya taiyaaree.
ham bhookhe mar jaen beshak nirdhan hain gaddaar nahin,
vatan se jo khilavaad kare hai mujhako vo sveekaar nahin,
deshadroh kaanoon sakht ho,dushman ke aramaan past ho,
raashtravirodhee dhvaj-bol janh,sena ka adhikaar sakht ho,
toone kaisa khvaab sajaaya,kis bhaarat ka aas lagaaya,
samajh rahe sab niyat teree ai shaatir vyaapaaree,
paan khila phaansee kee toone khoob kiya taiyaaree.
ham nirdhan pal-pal marate hain,sarahad par hain laal hamaare,
mashtak hai kashmeer vatan ka kisane dekha ghaav hamaare,
samajh rahe rotee kee keemat nirdhan hain gaddaar nahin,
raashtradrohiyon par naramee mit jaen par sveekaar nahin,
nahin chaahie bheekh tumhaaree,kaise ban baithe vyaapaaree,
naamumakin toot jaana teree samajh rahe makkaaree,
paan khila phaansee kee toone khoob kiya taiyaaree,
paan khila phaansee kee toone khoob kiya taiyaaree.
!!!Madhusudan!!!
राजनीत की कैसी दिशा है
आज भी भूखमरी का
अंधियारा पसरा है
ध्यानाकर्षक लेखन 👌
सुक्रिया मित्र सराहने के लिए।
सदियों से यही तो चल रहा है यूंही लाचारी का सिलसिला।nice poem.
सुक्रिया आपका पसन्द करने के लिए।
देशद्रोह कानून सख्त हो,दुश्मन के अरमान पस्त हो,
राष्ट्रविरोधी ध्वज-बोल जँह,सेना का अधिकार सख्त हो,
👏👏👌👌👌awesome …
धन्यवाद भाई पसन्द करने के लिए।
बेहतरीन सर जी
सुंदर कटाक्ष
Hamsab kataaksh ya taarif hi kar sakte hain……usse bhi kyaa chukna…….Dhanyawad apka.
Such a beautiful poem – you depicted the situation so well
Dhanyawad apka pasand karne aur sarahne ke liye……Janta ko laachaar karo phir daane daalo…….shayad loktantra ki yahi khashiyat ban gayee hai.
बिलकुल सही कहा अपने
beautiful poem and eye opener poem
Thank you very much for your appreciation.
My pleasure sir
हा हा।। हमसब लिखना जानते हैं भाई। बाहर रखना अब जनता के हाथ में से निकल जातियों और धर्मो के पास चला गया है।
मतलब
जिसका गठजोड़ जबरदस्त
उसी का ये तख्त।
#चुनाव2019 #वादेचुनावके
वाह बहुत खूब लिखा आपने
सत्य वचन है लाचारी केवल गरीब ही समझता है, और नेता इस लाचारी का भी फायदा उठा जाता है।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका पसन्द करने और सराहने के लिए।
वाह भाई, मने यह हम समझें कि कांग्रेस को 5 साल और बाहर रखना है😉😉
हा हा।। हमसब लिखना जानते हैं भाई। बाहर रखना अब जनता के हाथ में से निकल जातियों और धर्मो के पास चला गया है।
मतलब
जिसका गठजोड़ जबरदस्त
उसी का ये तख्त।