Manjil Ki Chahat
रास्ते तब ख़त्म होते हैं जब,
मंजिल करीब आती है,
चौराहे पर खड़े हर राही को,
मंजिल भी पास बुलाती है,
हम दीवाने मंजिलों के कहाँ खो जाते हैं
हारकर क्यों राहों में फिर हम जाते हैं,
कितना फौलादी था कल का वो इंसान,
सपनों में देखा था जिसने एक जहान,
फिर उठा तो वो सोया ही नहीं,
मजबूरियों पर कभी रोया भी नहीं,
रास्ते बना दी,चट्टानों को तोड़कर,
सपनों को रखा हकीकत से जोड़कर,
हार गयी धरती उसके हिम्मत से आसमान,
देखा पलटकर क़दमों में थी सपनों की जहान,
मंजिल और रास्ते आज साफ़ नजर आते हैं,
फौलादी के औलाद फिर हार क्यों जाते हैं,
कायरता को देख मेरी मंजिल परेशान है,
आलस्य को देख देख राहें भी हैरान है,
हिम्मत की गाथा मेरी रामसेतु गाता है,
कृष्ण,राम,बुद्ध की याद फिर दिलाता है,
धैर्यवान,हिम्मती हम तूफ़ान से टकराते हैं,
फौलादी के औलाद फिर हार क्यों जाते हैं।
गीदड़ बने बैठे हैं हिम्मत को हारकर,
शेर की औलाद सोया चादर को तानकर,
एक बार हिम्मत जगा कर तो देख ले,
शेर की औलाद सिर उठाकर के देख ले,
देख तुझे दूर खड़ी मंजिल बुलाती है,
रास्ते ख़त्म होते ही मंजिल पास आती है।
रास्ते ख़त्म होगी तो मंजिल पास आती है।
!!!मधुसूदन!!!
उत्तम रचना
सुक्रिया आपका।
बहुत अच्छा लिखा है, व्यक्ति को उसकी हिम्मत और शक्ति याद दिलाना जरूरी है।
सुक्रिया आपने पसंद किया।
Motivational poetry !
Sahi kahaa….kisi ka poem padha aur likh diya…Abhar aapka
nice post… You can read follow my blog https://agyatkavi.wordpress.com/ and https://nirablipi.wordpress.com/ .
Thank you very much…
Nice poem