Mere Shyam/मेरे श्याम

जिनके होने से ही होती है विहान,
वो मेरे श्याम साँवरे,
जिनका नाम जपूं हर पल मैं शुबहों-शाम,
वो मेरे श्याम साँवरे।
प्रेममय थिरकती मीरा,मोहन मानो साथ में,
दे दिया था प्याला विष का राणा उनके हाथ में,
माहुर बना दिया था सुधा के समान,
वो मेरे श्याम साँवरे,
जिनके होने से ही होती है विहान,
वो मेरे श्याम साँवरे।
सन्धि का प्रस्ताव ले आये कौरव के सामने,
उल्टा चला दुर्योधन अजया को ही बांधने,
विस्तृत रूप किया सिर छूता आसमान,
वो मेरे श्याम साँवरे,
जिनके होने से ही होती है विहान,
वो मेरे श्याम साँवरे।
विप्र सुदामा दिन अभाव में गुजारते,
सखा श्रीहरि का उनको कौन नही जानते,
आए द्वार दिया था धन का पारावार,
वो मेरे श्याम साँवरे,
जिनके होने से ही होती है विहान,
वो मेरे श्याम साँवरे।
नाम है सहस्त्र उनके लोग सभी जानते,
अलग-अलग नाम से उन्हीं को सब पुकारते,
गीता ज्ञान दिया खुशकिस्मत ये जहान,
वो मेरे श्याम साँवरे,
जिनके होने से ही होती है विहान,
वो मेरे श्याम साँवरे।
!!!मधुसूदन!!!

23 Comments

  • मैं देखूं जिस ओर सखी री!! सामने मेरे साँवरिया…….श्याम का होके श्याममय हो जाना ही श्याम से प्रेम का ही रूप है।अति सुन्दर श्याममयी कविता….

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