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सुनन्दा वशिष्ठ द्वारा कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म की आपबीती कहने और सुनने पर दिल से उठे भावों को शब्दों में पिरोने का प्रयास। हो सकता है किसी दोस्त को बुरा भी लगे मगर हमारा दिल दुखाने का कत्तई सोच नही। सिर्फ दर्द को शब्दों में बयां कर रहे हैं।सुनन्दा वशिष्ठ खबर।
तेरा दिल नफरत का घर और मुझसे कहते प्यार करूँ,
दो-दो चेहरे तेरे कैसे मैं तुमपर ऐतवार करूँ।
वर्षों से तुम छलते आए सहनशीलता रूठ रहा,
तेरे हर आघातों को सहते सहते दिल टूट रहा,
तोड़ रहे सपने सब मेरे और तुम कहते प्यार करूँ,
दो-दो चेहरे तेरे कैसे मैं तुमपर ऐतवार करूँ।
चाल समझते सब हम तेरे,मैं मूरख नादान नही,
तेरे दिल में ख्वाब बसे क्या,मैं उससे अनजान नही,
फिर भी हम इस आस में नफरत त्याग हमें अपनालोगे,
सोच बदल खुद का तुम मुझको,एक दिन गले लगा लोगे,
मगर बदल गए सदियाँ आँसूं,दर्द समझ ना पाए तुम,
हार गए हम प्रेम जताकर,खुद को बदल न पाए तुम,
ख्वाब लूटते हृदयहीन बन और फिर कहते प्यार करूँ,
दो-दो चेहरे तेरे कैसे मैं तुमपर ऐतवार करूँ।
अभी-अभी जो खबर सुने दिल काँप उठा उन बातों से,
कैसे धर्म के नाम पर दुश्मन बन बैठे थे साँसों के,
हाथ लिए हथियार रौंदते जो भी उनको दिख जाते,
या तो मिट जाते वे या फिर,उनके नाम बदल जाते,
चावल के डब्बों में छुप बैठे कुछ जान बचाने को,
चुप थे सभी पड़ोसी ना कोई आया साथ निभाने को,
बर्बर से वे बच गए मगर पड़ोसी खबरी बन बैठा,
जिन्हें खिलाया भाई कह वह,जान का दुश्मन बन बैठा,
शोलो की बौछार कराकर,उनका कत्लेआम कराकर,
बर्बर के संग हाथ मिलाकर और फिर कहते प्यार करूँ,
दो-दो चेहरे तेरे कैसे मैं तुमपर ऐतवार करूँ।
अब भी हर धर्मों में मेरे साथी प्रीत निभाते हम,
मगर कहें गर सत्य तो कट्टर हिन्दू फिर बन जाते हम,
तेरे दुख में संग-संग रोते,रूठ गए तो हम ना सोते,
बोल बता अब तूँ ही कैसे मैं गम की दास्तान कहूँ,
दो-दो चेहरे तेरे कैसे मैं तुमपर ऐतवार करूँ,
दो-दो चेहरे तेरे किस पर मैं बोलो ऐतवार करूँ।
!!!मधुसूदन!!!
Rekha Sahay says
कविता में दर्द है. मेरी एक कश्मीरी सहेली ने भी कुछ ऐसी हीं आपबीती वर्षों पहले सुनाई थी.
इस कविता को share करने के लिए आभार.
Madhusudan Singh says
धन्यवाद आपका। पढ़ने और सराहने के लिए।
nitinsingh says
मार्मिक
Madhusudan Singh says
सुक्रिया आपका।
Sikiladi says
Painful facts presented very well.
Madhusudan Singh says
Thank you very much for your appreciations.
Dhananjaygangay says
बहुत खूबसूरत है मैं किसको प्यार करू
Madhusudan Singh says
सोचनीय विषय।
Dhananjaygangay says
तू प्रेम बताये तो मैं प्यार करू
तू प्रेम सिखाये तो मैं प्यार करू
तू अपना बनाये तो मैं प्यार करू
Madhusudan Singh says
बिल्कुल सही। मगर वे प्रेम सिखाना तो दूर, प्रेम करना शायद जानते ही नही।
Rajiv Sri... says
“दो-दो चेहरे तेरे किस पर मैं बोलो ऐतवार करूँ।”
बहुत सही सर..! हक़ीक़त तो यहीं है..!👌🏻🙏🏻
Madhusudan Singh says
बस हम हकीकत उनका देखते और कहते रहेंगे।🙏🙏
aruna3 says
क्या कोई ज़ालिम प्यार से भी बदल नहीं सकता?कश्मीर में तो मेरे बहुत प्यारे दोस्त हैं जो हर पल मेरा ध्यान रखते हैं।
Madhusudan Singh says
ये दुनियाँ सिर्फ प्रेम से ही बदलेगा। मगर सबकुछ विनाश होने के बाद।
aruna3 says
विनाश के बाद बचेगा ही क्या।ये तो वो बात हो गई-सब कुछ लुटा के होश में आये तो क्या किया……लगता है हम फिर सिन्धु सभ्यता का निर्माण करेंगे।🤔
Madhusudan Singh says
निराश हम भी हैं आपके तरह मगर जिन्हें सोचना चाहिए वे सोचते कब हैं। न रावण सोचा ना दुर्योधन,ना ही सिकन्दर ना ही अब कुछ लोग। विनाश के बाद सिर्फ पश्चाताप रह जाता है पता नही ये बात उनको कब समझ आएगा।
Pankh says
हर इंसान के दो चेहरे होते है कोई अंजान होता है तो कोई सामने ले आता है।
Wonderful writting sir….
Madhusudan Singh says
मगर जिसने दोनों चेहरों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया तो सामनेवाले को दुःसह दर्द का सामना करना पड़ता है।