PUNAH DADHICHI BANANAA HOGA/पुनः दधीचि बनना होगा
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हे भारत के लाल जगो तुम,
माता का संताप हरो तुम,
हे राणा,चौहान,शिवाजी के अनुचर अब जगना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
शूल भरी हो डगर,
धधकती दावानल की ज्वाला हो,
या जलजला हो राहों में या
घोर घिरी अंधियारा हो,
तुम पुरुषार्थी थम मत जाना,
अभिमन्यु बनकर दिखलाना,
हे एकलिंग महेश के अनुचर,चीर तिमिर पथ गढ़ना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
तुम में ज्वाला दावानल की,
पवन-देव की तीव्र गति,
ताप भरा सूरज का तुम में,
प्रलयंकारी नीरनिधि,
गीदड़ों को जो शेर बनाता,
सवा लाख से एक लड़ाता,
जो चिड़ियों से बाज लड़ाता,
हे उस गुरुगोविंद का अनुचर,खुद को शेर समझना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
तुम खुद को कमजोर समझ मत,
तेरे अंदर शिव-शंकर,
तुझमें नानक,महावीर,
रविदास तुम्ही में ज्ञानेश्वर,
ज्ञान,बुद्धि,बल पाकर भी तुम,
कैसे राह भटक बैठे,
अपनो के सम्मुख ही कैसे,
मंदबुद्धि बन अड़ बैठे,
मूर्ख अगर ना अब सम्हलेगा,
समझ ले कुछ ना शेष बचेगा,
छोड़ अहम निद्रा से जागो,
अंतर्द्वंद्व त्याग रण साजो,
हे महावीर,बुद्ध के अनुचर अपना रूप बदलना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा,
राहें तेरी सत्य,अहिंसा,
उनका हिंसा,झूठ,कपट,
दया,प्रेम,करुणा दिल तेरे,
उनका दिल नफरत का घर,
जैसा को तैसा बन जाना,
गफलत त्याग काल बन जाना,
हे रघुवर,कान्हा के अनुचर,सज्ज-शस्त्र अब लड़ना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा,
वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
!!! मधुसूदन !!!
आतंक का कोई धर्म नही।और कोई भी काल इससे अछूता नही। कई धर्म बने मगर आज भी कुछ नही बदला।
“एक समय की बात है जब दानवों के उत्तपात से धरती संग देवलोक त्रस्त हो गया था तथा इंद्रलोक पर राक्षसों का कब्जा हो गया था। उस समय क्रूर राक्षस वित्रासुर का बद्ध महर्षि दधीचि की हड्डियों से बने धनुष से ही सम्भव था। तब महर्षि दधीचि ने संसार के उद्धार के लिए स्वयं को अग्नि में जलाकर अपनी हड्डीयाँ दान कर दी। जिससे बने धनुष से कालांतर में वित्रासुर का बद्ध हुआ एवं सृष्टि में शांति स्थापित हुई।”
ऐसे तपस्वी को कोटि कोटि नमन।🙏🙏
Excellent
Dhanyawad apka pasand karne ke liye.
Antarmann jagrut karne wali kavita hai yeh. Waqt ki pukaar hai, har Hindu ko ab jaagna hoga……
बिल्कुल सही। हम जगेंगे एक होंगे फिर शेष धर्मावलम्बियों को एक रखेंगे। हम नफरत नही करते ना ही नफरत करनेवाले लोग पसन्द हैं हमें चाहे वे किसी भी धर्म का क्यों न हों। धन्यवाद आपका।
चेतक गिरा कर्तव्य मार्ग में,
पर
अब भी पूजा जाता है।
जो
चक्रव्यूह में
उलझ गया
अमर हुआ वह अभिमन्यु।
अश्वत्थामा
ना मरा, ना गिरा
शापित रहा पर
युग युग को।
विजय वीर की नहीं इस पर
कि कौन गिरा,
मरा या अकड़ रहा।
सम्मान वही नर पाता है,
जो धर्म न्याय के साथ रहा।
I support CAA and NRC ….It is noting to do with Indian Citizens … Bangladeshi’s Rohingyas घुसपैठिय should be thrown out of our beautiful country . 🙂
मजा आ गया पढ़कर।यहाँ रहनेवाले किसी भी लोगों को दिक्कत नही इस कानून से मगर कुछ सोच है जो ठीक नही।
बहुत बढ़िया
Dhanyawad apka pasand karne ke liye.
Power packed message.
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Bahut badia, ek dum satik
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वित्रासुर गर्जन करता बन पुनः दधीचि जलना होगा।
Umda post.
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