Rishtey
जब से है दुनियाँ जब से है हम,
हमसे है रिश्ते रिश्तों से हम,
हम से ही बनते बिगड़ते हैैं रिश्ते,
किसको कहें कैसे मिटते हैं रिश्ते,
दिमाग से बने रिश्ते कभी टिकटे नहीं,
दिल से बनें रिश्ते कभी मिटते नहीं,
वैसे तो मिटानेवाले कुछ भी मिटा देते हैं,
दूध का कर्ज,माँ का दर्द भुला देते हैं,
वर्षों का प्रेम क्या,वे निष्ठुर जिगर से,
पल भर में उजड़ा संसार बना देते हैं,
पल भर में उजड़ा संसार बना देते हैं।
भूलने की आदत जिन्हें भूल जाएं,
रिश्ते जमाने का वे तोड़ जाएं,
फिर भी एक रिश्ता जो याद सदा करती है,
तड़पते कलेजे में प्यार सदा रखती है,
निष्ठुर बने क्यों ना उससे जमाना,
फिर भी वो माँ दिल का द्वार खुला रखती है,
फिर भी वो माँ दिल का द्वार खुला रखती है।
क्यूंकि……….
माँ के पास दिल है दिमाग नहीं रखती,
दिल मे निष्ठुरता का हिसाब नहीं रखती,
जालिम बने क्यों ना खून कोई अपना,
उससे भी नफरत का भाव नहीं रखती,
उससे भी नफरत का भाव नहीं रखती।
माँ बिना प्यारा संसार नहीं है,
माँ जैसा दुनिया में प्यार नहीं है।
!!! मधुसूदन !!!
Riste
dimaag se bane riste kabhi tikte nahin,
dil se bane riste kabhi mitate nahin,
waise to mitaanewaale kuchh bhi mitaa dete hain,
dudh ka farz maa kaa dard bhulaa dete hain,
phir bhi o maa usey yaad sadaa rakhti hai,
tadpte kaleze men pyaar sadaa rakhti hai,
tadpte kaleze men pyaar sadaa rakhti hai,
kyunki…………..
maa ke paas dil hai dimaag nahi rakhti,
esiliye bete ko yaad sadaa karti hai,
esiliye bete ko yaad sadaa karti hai,
!!! Madhusudan !!!
Bahut h sundar 👏
Dhanyawad apka🙏🙏
माँ के पास दिल है दिमाग नहीं रखती,
दिल मे निष्ठुरता का हिसाब नहीं रखती,
जालिम बने क्यों ना खून कोई अपना,
उससे भी नफरत का भाव नहीं रखती,
उससे भी नफरत का भाव नहीं रखती।
Apki ye panktiyan bhut hi lajawab Hai Jo sarvbhaumik Satya ki or ishara krti Hai ki rishte k liye swarth ka koi sthaan nhi
Bhut achha lgta pdhkr
Bahut bahut abhaar aapka🙏🙏🙏
Isi liye Maa Maa hoti he…
बिल्कुल सही कहा। सुक्रिया आपका।
मॉ के प्रेम निस्वार्थ से भरा होता है …बहुत ही अच्छा लिखा है
Dhanyawad apka apne pasand kiya aur sadaaha..
वाह.खुब.
माँ के पास दिल है दिमाग नहीं रखती,
दिल मे निष्ठुरता का हिसाब नहीं रखती,👌
Dhanyawad apka aapne pasand kiya aur saraahaa.
माॅ जैसी ही पावन कविता
Dhanyawad apne pasand kiya aur saraaha
बहुत ही खूब लिखा है आपने सर
Sukriya apne pasand kiya aur saraha…
भावपूर्ण….👌
Bahut bahut dhanyawad apka…
किटी इनका व्यसन, एक एक की दस दसकिटी। कैई 5, 10, 25हजार से कम की कोई नहीं। मेम्बर भी 20, या और ज्यादा। इनके बच्चे व मां बाप घर में हो या हॉस्टल में बस नौकर ही देखते हैं। हमारे ब्लॉग समय निकाल कर पढेंगे तो बस हमने अपने आस पास की घटनाएं व रहन सहन लिखा है। नवम्बर से
बिलकुल सच कहा आपने——दर्द होता है ऐसे सोच पर—-सबको उस स्थिति में जाना है फिर भी——बहुत बढ़िया—–सुक्रिया
बस एक बात को आपने शायद ध्यान नहीं दिया कि ये जो अपने को हाइ सोसाइटी का शो करते हैं, वो ही ये करते हैं। हम इस वक्त जहां रहते हैं वहाँ इसी तबके के लोग हैं
सच है संसार में सभी एक जैसे नहीं होते—–परन्तु अपवाद को छोड़ माँ माँ होती है—लोगों को किसी के द्वारा भी किया जानेवाला प्रेम का मूल्य समझना चाहिए, जो समझते है उन्हें बतलाने की कोई जरुरत ही नहीं। आपने अपने बिचार दिए —-पसंद किए अबौत बहुत धन्यवाद।