Daud/दौड़
टूटते गुम्बद,नित टूटते मंदिर,टूटती नही,जाति-मजहब की दीवारें,प्रेम से रिक्त होते दिल,और गगन चूमती नफरत की मीनारें,मिट गया वह भीजिसके चलने मात्र से हिलती थी धरती,नित मिट रहे कंस और दुर्योधन भी,मगर मिटती नही जग सेझूठी अहंकारें।वैसेगिराई तो तूने भी है,मेरे ख्वाबों का शीशमहल,तोड़े हैं रिस्ते,यकीन,वादे,किया है फरेबबहुत कुछ पाने को,फिर क्यों नही चमकते,तेरे चेहरे पर […]