Democracy

सज के सवंर के दुल्हन सा बनके, जनतंत्र आया दुनिया में हँसके, सोंचा था उसने गगन में उड़ेंगे, राजसी हुकूमत से ऊपर उठेंगे, मगर तख़्त को छोड़ कुछ भी ना बदला, मजहब और जाति में इंसान अटका। कहीं है लाचारी कही पर ग़रीबी, कहीं मौज मस्ती की छाई अमीरी, कहने को जनतंत्र जनता का शासन, […]

Posted in Desh BhaktiTagged 6 Comments on  Democracy